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शब्दो का झटका,
विस्फोट के साथ।
स्याही लौ के तेल की
तरह चलाया जाता है।
उनको इंतजार करता है,
अधिक जोखिम सच्चाई।
एक उद्देश्य के साथ लेखन,करता हूँ,
एक पागल पन के साथ।
यह मुझे ले जाता है,
पैन के साथ।
जैसा कि शब्द जारी है,
अन्याय को प्रदर्शित करने के लिए,
उसको लोग न्याय भी कहते हैं।
खबरों को कुरेद कर दिखाते है हम।
हर खबर से धूल हटाते है हम।
सच्चाई लिखते हैं, हम,
लेकिन कोई भी हमें धन्यवाद नहीं करता।
फिर भी आओ क्या हो सकता है।
सच बोलते हुए,
क्या हम चुनते है ?
By - माया मिश्रा
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