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चार कचौड़ी, पुरवा लस्सी
गरम जलेबी, चाय पे अस्सी
चाट टमाटर, गोल गुलप्पा
गली गली और चप्पा चप्पा
दो दिन ज़्यादा खाता हूँ...
तो खाने देना!
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना!
अड़ी अड़ी और घाट घाट पे
मित्रों के संग बात बात में
अबे तबे और हँसी ठहाका
भूल के दुनिया भर का स्यापा
अपना समय बिताता हूँ
बिताने देना
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना!
का गुरु... कैसन हौ भईया
देखा बचा पीछे हौ गइया
अंग्रेज़ी को भूल भुला के
पी ठंडाई और पान घुला के
भोजपुरी बतियाता हूँ...
बतियाने देना!
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना!
देखो रजा कसम है तुमको
रोक ना लेना देखो हमको
हवा तुम्हारी, खुश्बू, मिट्टी
यादें थोड़ी सी खटमिट्ठी
बाँध पोटली में रस थोड़ा
अपने संग ले जाता हूँ
ले जाने देना
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना!
लेखक - बेनाम रहना चाहता हैं।
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