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ऐसा कह रहे है मिस्र के इस्लामी विद्वान इमाम अल शफ़ी। उनके मुताबिक़ अगर किसी इस्लामी पुरूष से नाजायज तरीके से किसी लड़की का जन्म हुआ है तो वो उससे निकाह कर सकता है और यौन संबंध बना सकता है।
अच्छा आलिम साहब के पास ऐसा कौन सा आला है जिससे वो ई जान जाते है कि फलां जायज है और फलां नाजायज़। अच्छा जायज लड़की क्या किसी और तरीके से गर्भ में आती है और नाजायज़ लड़की किसी और तरीके से?, क्या जायज लड़की का पैदा होने का तरीका नाजायज लड़की से अलग होता है?
इमाम अल सफी मिस्र की प्रसिद्ध अल अजहर यूनिवर्सिटी में पढ़ाते है और विचारों के स्तर पर शैतान के काका है। इनके मुताबिक़ नाजायज बेटी से बियाह करना शरिया के मुताबिक़ जायज है। इतनी तकनीकी और सूक्ष्म व्याख्या ये लोग देते है तभी बगदादी और बोको हराम जैसे संगठन निकल के सामने आते है जो आतंक का ख़ूनी खेल खेलते है।
पुरूषों को इतनी स्वायत्तता देने वाले ये आलिम लोग महिलाओं को एक खिलौने से ज्यादा कुछ नहीं समझते। इनकी नजर में महिलाएं एक 'बच्चा उत्पादक कारखाना' भर है। तभी तो आलिम साहब न सिर्फ निकाह का मेंशन करते है बल्कि यौन संबंध बनाने को भी हाईलाइट करते है।
अच्छा मिस्र में ऐसी मुंहटट्टी कोई नयी बात नहीं है, इससे पहले टीवी डिबेट में एक मौलवी साहब ने पैदा होते ही लड़की से निकाह करने को शरिया के तहत पाक बता दिया था। एक मुँहबोली लड़की से निकाह की बात करते समय इन नामुरादों की जुबान को लकवा मार जाना चाहिए था।
इनके मुताबिक मादा होमो सेपियंस सिर्फ़ बच्चा जनने और निकाह के लिए पैदा हुई है। बताइये ऐसी घटिया मानसिकता वाले ये लोग अपने को समानता और आधुनिकता का पर्याय वाले धर्म के रूप में प्रोजेक्ट करते है।
By - Sankarshan Shukla
Photo credit : NBT
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