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मैं बेबीलोन और फारस का
व्यापारी हूं
मगध की राजधानी
और आस-पास के क्षेत्रों से
व्यापार करना चाहता हूं
चाहता हूं खरीदना...
महीन रेशन के वस्त्र
पान और तंबाकू
कचकचाते हीरे
और मटकते मोती
केसर का बना.
कच्ची खूश्बू का इत्र
पर मेरी आंखें ये क्या
देखती हैं....
पान की गिल्लौरियां मुंह में भरे नागरिक
निपुण कारिगर
चेहरे पर झुमती हुई खुशी
के साथ,
अपने रोजगार में जुटे
मेहनती श्रमिक.
गहरे शांत दार्शनिक
गुनगुनाती सुबह
मनोरंजक शाम
और आनंदित रातें.
कच्ची-पक्की घुमावदार
सड़के
मजबूत नींव के शिखर
पर दमकते
सार्वभौम वैभव का झूमर.
महल के लटकते चंचल कगूरों पर
मोहब्बत तरकश निगाहें.
काले भाले की चमचमाती नोक पर
खड़ी वफादारी
झुमते हाथियों की पीठ पर बैठी
जिम्मेदारी.
नगर की गलियां संकरी और तंग है
गननचुम्बी अट्टालिकायें हैं
वहीं, अंधेरे तहखानों में
पन्ना, हीरा,मूंगा, पुखराज
स्वर्ण-रत्न भरे पड़ पडे हैं
एक दार्शनिक...
मैं ठहरा पाश्चात्य का सौदागर
क्या करू....
दर्शन ले जा र हा हूं...
- पवन मौर्य
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