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नट और नटी विवाह का वार्षिकोत्सव मनाने जैसलमेर जा चुके हैं... इस बीच छछूंदर दम्पति घर पर काबिज हो गया है........ छछून्दरी की हथेलियों में चमेली का तेल है और छछूँदर का सिर उसकी गोद में........
छछूँदरी--हमको ये बताओ …… ये ससुरी हिंदी मीडिया का कल्याण कब होगा!!
छछूँदर--बुलडोजर चलाने से..
छछूँदरी--नासपीटे … मैं तुझसे रोग का इलाज पूछ रही हूँ और तू रोगी को ही मारे डाल रहा है..
छछूँदर--एड्स का इलाज नहीं है मेरी कचौरी..
छछूँदरी--मतलब ....लालबुझकड़ी मत झाड़.…साफ़ साफ़ बता कलमुहे!!
छछूँदर--देख, तेरे सामने जितने ये हिंदी पत्रकारिता के पुरोधा खड़े हैं..... ये सब बगैर निरोध लगाए हिंदी मीडिया से सुडॉमी कर रहे हैं..
छछूँदरी--ओये अंगरेजी क्यों पोंक रहा है!!
छछूँदर---हिंदी में असंसदीय हो जाएगा इसलिए..
छछूँदरी--सीरियसली जवाब दे, जो पूछ रही हूँ
छछूँदर--क्या कुत्ते की दुम की तरह सवाल ताने खड़ी है!!
छछूँदरी--मुंहझौंसे … कई लोगों की रोजी-रोटी का सवाल है...
छछूँदर--उनकी रोजी रोटी जैसे तैसे चल रही है हिंदी मीडिया को रखैल प्रबंधन और मालिकों ने बनाया हुआ है...
छछूँदरी--क्या बके जा रहा है!!
छछूँदर--अब तुझे तेरी भाषा में समझाता हूँ..देख जब गन्ना चूस लिया जाता है तो क्या किया जाता है!!
छछूँदरी-- साँड़ के आगे डाल दिया जाता है..... और क्या किया जाता है..
छछूँदर--बस तो यही समझले.......हिंदी मीडिया गन्ने की छूँछी भर रह गयी है..
छछूँदरी--हिंदी मीडिया का ये हाल करने वालों के साथ क्या किया जाए!!
छछूँदर--जो आडवाणी के साथ मोदी कर गुजरे हैं...
छछूँदरी--फिर उल्टा पोंका तू..ठीक से बता!!
छछूँदर--होठों पे सच्चाई रहती है दिल में सफाई रहती है हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बिलखती है..
तभी दरवाजा भड़भड़ाता है नटी चिल्ला रही है नट पर … छछूंदर और छछून्दरी ताबड़तोड़ भागते हैं …और नक्कारा नटी की पायल तरह छुन-छुन कर उठता है...
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लेखक - राजीव मित्तल (दुनिया की ऐसी तैसी करने आया पत्रकार) |
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