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चाँद हो या हो तुम चाँदनी ,बता दो न ,
अपनी मोहब्बत की रोशनी में नहला दो न !
मुद्दतों की मिन्नतों बाद मिले हो ,
कुछ तो सिला इंतजार का मेरे भी दे दो न !
सँवर जाये यह रुकी -रुकी सी जिन्दगी ,
अपनी साँसो की रफतार दे दो न !
मुक्म्मल कर दूँ ,हर खुशी तुम्हारी ,
भूल से ही सही ,हार बाहों का दे दो न !
सर्द सी हैं हसरते-जिन्दगी की ,
मुस्कराहटो की धूप दे दो न !
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By - राशि सिंह |
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