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''बधाई हो कल्याणी जी दो माह पूर्व बेटे का विवाह किया और अब बहू पेट से भी हो गयी। बडी अच्छी किस्मत है तुम्हारी दो बेटों की माँ थीं अब पोते की दादी भी बन जाओगी।''
कल्याणी की पडोसन ने कल्याणी से कहा।
''हाँ भई सब ऊपर बाले की मेहरबानी है ।देखते हैं किसकी दादी बनाता है पोते की या पोती की चाहे जो हो जाये बनुँगी तो दादी ही न !''
कल्याणी ने बाल्कौनी में पडी कुर्सी पर अपनी पडोसन के पास बैठते हुए कहा।
''रात से घुटनो में बडा दर्द था रात तो छोटी पोती कनिष्का से पैर दबबाये थे --।''
''वो तो पाँच साल की है पैर दबा देती है ?''कल्याणी ने आश्चर्य से पूँछा।
''अरे हाँ --पैर क्या जब बहु खाना बनाती है तो गरम-गरम रोटियाँ प्लेट में रखकर देती है कनिष्का मुझे !''
''और पोता -!''
''वह बडा शैतान है दस साल का हो गया है पर मजाल क्या है मेरा चश्मा भी उठाकर दे दे।''
''हाँ यह तो है लड़कियाँ ज्यादा समझदार होती हैं।''
''होती तो हैं पर नाम तो लड़कों से ही चलता है न ! तुम्हारे भी पोता हो जायेतो अच्छा है नहीं तो राह ही देखते रहो ।''
''क्या तुमको मेरी खुशी बर्दास्त नहीं होगी कोकिला जो तुम मेरे पोता ही पैदा होने की प्रार्थना कर रही हो ?''
''कैसी खुशी ?''
''अरे वही जो तुम्हारी पोती की बातें करते हुए तुम्हारे चेहरे से झलक रही थी।''
''हाँ मगर नाम चलाने के लिये तो पोते का होना आवश्यक है !''
''कौन सी किताब में लिखा है ? जो हमारी परेशानी समझे परेशानी में हमारे काम आये ,उसी से नाम चलता है लड़के या लड़की से नहीं।''
''कुछ भी कह लो मगर ------।''
''बहु इधर आओ आन्टी के पैर छू लो।''
''जी माँ जी बहु जोकि रसोई की खिड़की से अपनी सासू माँ और पडोसन आन्टी की बातें सुन रही थी निकलकर रसोई से बाहर आई और पैर छू लिये
''सदा सुहागन रहो पुत्रवती भव:।''
''आंटी मुझे स्वस्थ संतान का आशीर्वाद दीजिये लड़की या लड़के का नहीं। ''सुनकर कल्याणी अपनी बहू की तरफ़ देखकर मुस्करा दीं,
और पडोसन ''भलाई का तो जमाना ही नहीं '' कहकर बड़बडाती हुई घर से निकल गयीं।
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By - राशि सिंह |
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