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इडियट !!! बास्टर्ड !!!! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की !!! गंदी नाली के कीड़े !!!! यू पुअर पीपुल !!!! तुम मुझे जानते नहीं मैं कौन हूँ !!! किसकी बेटी हूँ !!! एक सेकंड में तुम्हारी व्हाट लगा सकतीं हूँ !! लंगड़े कही के !!! तुम्हारे जैसे लोगों की मानसिकता पता है मुझे !! रेपिस्ट हो साले रेपिस्ट ... रेव पार्टी से निकलते हुए पूरी तरह से नशे में धुत लड़के लड़कियों के एक ग्रुप में से एक लड़की दरबान पर बुरी तरह चिल्ला रही थी। नशे के कारण वो ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। दरअसल दरबान शेर सिंह सेवानिवृत भारतीय सेना का जवान था और कल ही इस क्लब में दरबान की नौकरी पर लगा था। सेना में रहते जंग में एक बार उसे पैर में गोली भी लगी थी और वो थोड़ा थोड़ा लंगड़ा कर भी चलता था।
बीस बाइस साल की वो मॉडर्न लड़की दरअसल पूरी तरह से नशे में धुत थी और उसने बहुत ही छोटे छोटे कपड़े पहन रखे थे जिसमें उस लड़की के शरीर के एक एक अंग प्रत्यंग नज़र आ रहे थे। खुले बाल, गदराया गोरा बदन ,उतेजनापूर्ण मेकअप से भरी हुई ,एक हाथ में जलती हुई सिगरेट और दूसरे हाथ मे शराब की बोतल थी। चेहरे पर पैसे की गर्मी साफ झलक रही थी। चिल्लाते चिल्लाते बीच मे सिगरेट की कश भी लगा रही थी।रात के बारह बजने को थे अंदर खूब डाँस शराब और नशे के अन्य सामानों का दौर चला था।बाप के उम्र के दरबान शेर सिंह की गलती इतनी थी कि उस लड़खड़ाती हुई लड़की को अपनी बेटी जैसी समझकर गिरने से बचाने के लिए हाथ पकड़ लिया था और बोला "जरा संभलकर बेटी" इतने में लड़की ने न सिर्फ जमकर गालियाँ दीं बल्कि जोर का शेर सिंह के गाल पर एक चाटा भी जमा दिया।
पाँच छह की सँख्या में रहे युवाओं के ग्रुप ने जमकर उस बूढ़े जैसे दरबान को गालियाँ दी। देश की खातिर पहले शेर सिंह ने गोलियाँ खायीं थीं अब एक लड़की को गिरने से बचाने की गलती कर गालियां खा रहा था।
तभी अचानक पुलिस की रेड वहाँ पड़ गयी सारे पार्टी करने वाले इधर उधर भागने लगे। जोर की भगदड़ मच गई। वो लड़की भी तेजी से इधर उधर भागने लगी। ज्यादा नशे में होने के कारण उसे होश न था तभी एक भागने के क्रम में तेजी से जाती हुई कार से साइड से टकरा गई। सर पर चोट लगी और ललाट से खून का फव्वारा बह निकला। अभी साथ मे पार्टी में डाँस और मस्ती करने वाले सारे दोस्त भाग निकले थे।पुलिस की पूरी टीम अनान फानन में अंदर अन्य लोगों को गिरफ्तार करने में जुटी थी।
शेर सिंह को उस लड़की की ऐसी हालत देखकर रहा नहीं गया उसे उस लड़की में अपनी बेटी की छवि दिखाई दी जो लगभग उसी की उम्र की रही होगी। शेर सिंह ने तुरंत बेहोश होकर गिरी उस लड़की के सर पे उस जगह रुमाल कसके बाँधा जहाँ से तेजी से खून निकल रहा था फिर उस लड़की को अपना शर्ट पहनाकर तेजी से कँधे पर लादकर पास वाले अस्पताल की ओर दौड़ चला। सेना में रहने के कारण ऐसी मुसीबतों के समय दौड़ने का अभयस्थ था। अस्पताल में एडमिट कराकर तुरंत अपना खून भी शेर सिंह ने दिया ताकि खून की कमी होने पर चढ़ाया जा सके। उस लड़की के मोबाइल से हीे परिवार वालों को सूचित कर वो चुपचाप अस्पताल से निकलकर चला गया।
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