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कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं?
तुम कह देना कोई खास नहीं...
एक दोस्त है पक्का कच्चा सा,
एक झूठ है आधा सच्चा सा,
जज़्बात से ढका एक पर्दा है,
एक बहाना कोई अच्छा सा!
जीवन का ऐसा साथी है जो,
पास होकर भी पास नहीं !
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ?
तुम कह देना कोई खास नहीं...
एक साथी जो अनकही सी,
कुछ बातें कह जाता है।
यादों में जिसका धुंधला सा,
एक चेहरा ही रह जाता है।
यूं तो उसके ना होने का,
मुझको कोई गम नहीं,
पर कभी-कभी वो आँखों से,
आंसू बनके बह जाता है।
यूं रहता तो मेरे ज़हन में है,
पर नज़रों को उसकी तलाश नहीं,
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ?
तुम कह देना कोई खास नहीं...
साथ बनकर जो रहता है,
वो दर्द बाँटता जाता है,
भूलना तो चाहूँ उसको पर,
वो यादों में छा जाता है।
अकेला महसूस करूँ कभी जो,
सपनो में आ जाता है।
मैं साथ खड़ा हूँ सदा तुम्हारे,
कहकर साहस दे जाता है !
ऐसे ही रहता है साथ मेरे की,
उसकी मौजूदगी का आभास नहीं!
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,
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