- Get link
- Other Apps
- Get link
- Other Apps
एक खिड़की वह जो
हवा आने देती थी
एक खिड़की वह जो सुबह
कोमल किरणों को घर में फैला देती थी
एक खिड़की वह जिसमें हम बरसात देखा करते थे
पेड़ों को झूमते पपीहे को भीगते देखा करते थे
एक खिड़की वह जिसमें हम देखा करते थे उसे
और वह भी तिरछी निगाहों से हमें
एक खिड़की वह भी
जहाँ हम उदासी के कुछ पल बाहर झाकते गुजारे थे
लिखे थे कुछ गजल
एक खिड़की वह भी जहाँ गौरईया
आ कर बैठती थी
और पाकर के पेड़ की डाली पर
बुलबुल दिख जाया करती थी .
एक खिड़की और जिसके सामने बैठ हम सोचा करते थे
उसकी कहीं बातों को
एक खिड़की वह जिसमें कोई चिट्ठी छोड़ जाता था
जिसको अचानक देख दिल धक् हो जाता था
एक खिड़की वह भी जिसमें लालटेन की रौसनी
और झींगुरों की आवाज आती थी
ये खिड़कियाँ कितनी प्यारी होतीं थी
अन्दर से हम किसी को
और बाहर से कोई हमें
देखता था
आज भी एक खिड़की है
जिसमें हम लोग झाकतें हैं और
कोई उसी खिड़की से हमारे जेब(पॉकेट ) में झाकता है ...
![]() |
By - चंद्रशेखर आज़ाद ( एक उलझा हुआ इंसान ) |
Comments
Post a comment