- Get link
- Other Apps
- Get link
- Other Apps
वैसे तो भीख मांगना सामाजिक अपराध है। लेकिन ऐसा ही काम रविवार को महिला अतिथि विद्वानों ने किया। वजह काबिलियत के बावजूद वाजिब हक नहीं मिलना। मध्यप्रदेश के जबलपुर में नाराज महिला अतिथि विद्वानों को दिहाड़ी मजदूर से भी कम 150 रुपए प्रति पीरियड पढ़ाने के मिलते हैं जबकि इन्हीं विद्वानों ने सड़कों पर भीख मांगी तो घंटेभर में 380 रुपए जुटा लिए। सड़कों पर लोगों को भी महिलाओं के भीख मांगने पर हैरानी हुई। शिक्षकों ने जब वजह बताई तो उन्होंने सरकार को कोसा।
पीएचडी, नेट वाले भिखारी देख हर कोई हैरान
मप्र अतिथि विद्वान महासंघ के महिला सहायक प्राध्यापकों ने गले में अपनी-अपनी डिग्री का पोस्टर लटका रखा था। भीख मांगने से पहले हर किसी को बताते रहे कि सहायक प्राध्यापक के लिए योग्यता और अनुभव दोनों होने के बावजूद उन्हें मजदूरी के नाम पर महीने में 3 हजार रुपए का वेतन मिला। इतना कम तो मजदूर को भी नहीं मिलता जितना सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों को सरकार दे रही है। लोगों ने भी उनकी मांग को जायज माना और भीख में पैसे दिए।
विरोध कम दाम का
मप्र अतिथि विद्वान महासंघ के जिला प्रमुख अनामिका सिंह ने बताया कि सरकारी कॉलेजों में अतिथि विद्वानों को 150 से 275 रुपए तक प्रति पीरियड के हिसाब से भुगतान होता है। हर कॉलेज में मानदेय अलग तय है। शिक्षकों को कई बार कम पीरियड मिलते हैं इस वजह से उनको महीनेभर में 3 से 8 हजार रुपए तक ही वेतन मिलता है। सरकार से महासंघ एक फिक्स राशि देने की मांग कर रहा है। इसके साथ ही हर कॉलेज में एक सामान मानदेय दिया जाए।
Reactions:
- Get link
- Other Apps
Comments
Post a comment