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By - अंकेश मद्देशिया
इस वर्ष हम 69वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। पर समय बीतने के साथ पुराने होते जा रहे गणतंत्र में हम उपलब्धियों के बजाय , पतन की नयी इबारतें ही लिखते जा रहे हैं।
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क्रेडिट - द वायर |
इस समय दस देशों के राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली में उपस्थित है और देश भर में करणी सेना का उत्पात देश को शर्मसार करने वाला है।
हमें यह समझना होगा कि लोकतंत्र 5 साल में एक बार वोट दे देने का ही नाम नहीं है। लोकतंत्र एक जीवन प्रणाली है। इसके सफल संचालन के लिए इसमें लोगों की भागीदारी अनिवार्य है।
संविधान को आत्मर्पित करते हुए, हमने भारत को एक धर्मनिरपेक्ष, पंथनिरपेक्ष , समाजवादी राज्य बनाने का निश्चय किया है।
इस राह में जो रुकावटें हैं हमें उन्हें दूर करना चाइये जिससे देश में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय तथा विचार अभिव्यक्ति धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता और अवसर की समता स्थापित हो सके ।
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