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विनोबा ने अपनी पुस्तक ‘नारी की महिमा’ में महिलाओं की शिक्षा और महिलाओं द्वारा शिक्षा के बारे में कितना सुंदर लिखा है-
"स्त्री और पुरुष दोनों की आत्माओं में एक जैसे संस्कार होते हैं। क्षुधा और तृष्णा आदि वासनाएँ भी दोनों में समान होती हैं। सृष्टि या विज्ञान के साथ भी इनका संबंध एकसमान है।
ऐसा तो है नहीं कि पुरुष को सृष्टि एक प्रकार की दिखती है और स्त्री को दूसरे प्रकार की। इसलिए गुण-विकास के नियम भी दोनों के लिए समान ही लागू होते हैं।
इसे ध्यान में रखकर मैं तो कहता हूँ कि न केवल स्त्री-पुरुष को समान शिक्षा मिलनी चाहिए, बल्कि एक साथ ही मिलनी चाहिए।
मेरे विचार से प्राथमिक शालाएँ स्त्रियों के हाथ में ही रहनी चाहिए। उनमें लड़के और लड़कियाँ एक साथ पढ़ें।
अगर सारा प्राथमिक शिक्षण स्त्रियों के हाथ में रहेगा, तो बच्चों का विकास ठीक-ठीक होगा, वे ठीक रास्ते लगेंगे। समाज को मर्यादा में रखने की भी कुछ शक्ति स्त्रियों में आएगी।"
Credit - Avyakta facebook wall
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