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Hostelworld |
तुम सोचना नहीं मुझे कभी,
तुम ढूंढना नहीं मुझे कभी,
दुःखी नहीं ठीक हूं मैं।
जब तस्वीरें देख जाओ कभी,
जब आँखों में पानी लाओ कभी,
रुमाल निकाल उन आँसूओं को पोछ सकते हो,
या इतना पानी तो सोख ही सकते हो,
पर मुझे कुछ नहीं कहना क्योंकि,
दुःखी नहीं ठीक हूं मैं।
जब लिखे मेरे वो प्रेम पत्र मिल जाए,
दिल में दोबारा एक होने के अरमां खिल जाए,
कुछ नहीं दबा लेना सब कुछ,
या जला देना सब कुछ,
पर मुझे लौट आने को न कहना कभी क्योंकी,
दुःखी नहीं ठीक हूं मैं।
याद में मेरे राह तकते तुम रात गुजार दो अगर,
यह कोई नई बात नहीं होगी मगर,
चाँद को देखते मेरा अश्क नज़र आए,
मुंह फेर लेना अपना शायद इश्क़ वहीं मर जाए,
पर मुझे परेशान मत करना क्योंकि
दुःखी नहीं ठीक हूं मैं।
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