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भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम का विजयी अश्वमेध घोड़ा अब अपने अभियान के सर्वाधिक मुश्किल दौरे में पहुँच चुका है। भारतीय उपमहाद्वीप और कैरिबियाई पिचों में तो भारत ने एकतरफा जीत दर्ज की है। अब भारत को तेज, सपाट, उछाल और स्विंग वाली पिच पे अपने क्रिकेटीय कौशल की अग्निपरीक्षा देनी है।
अगर सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण और मैच के निर्णायक फ़ैक्टर की बात की जाएं तो वो है दक्षिण अफ़्रीकी तेज गेंदबाजों को मिलने वाली स्विंग। इसका जिक्र स्वयं मुरली विजय अपने एक साक्षात्कार में कर चुके है, उनका कहना है कि उन्हें बाउंस से अधिक समस्या स्विंग से है। इसके अलावा शिखर धवन भी तेज पिच पे स्विंग करती गेंदों के सामने अक्सर अपने हथियार डाल देते है।
भारतीय टीम के दक्षिण अफ्रीका के अगर पिछले वर्षों में किये गए दौरे पे नज़र डाले तो पाते है कि लंच के पहले ही भारतीय टीम के 3 से 4 बल्लेबाज़ पवेलियन की राह पकड़ लेते है। यदि भारतीय टीम के ओपनर शुरूआती 20-25 ओवर धैर्यपूर्वक खेलते हुए गेंद को पुरानी होने दें तो बाद के बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे मिलकर एक बड़ा स्कोर खड़ा कर सकते है।
विराट कोहली अक़्सर विकेट से चार मीटर दूर गिरने वाली बॉल पे ड्राइव खेलने के फ़ेर में विकेट के पीछे अपना कैच दे बैठते है। केपटाउन की स्विंग लेने वाली घसियाली पिच पे रबादा, फिनेंडर और मोर्केल की तिकड़ी भारतीय बल्लेबाज़ी पे एकदम हाइपरसोनिक रॉकेट के मानिंद आक्रमण करेगी, अब ये भारतीय बल्लेबाजों की कुशलता पे निर्भर है कि कैसे वे टिप्पा पड़ने के बाद अपने फुटवर्क रूपी इंटरसेप्टर से इसे ध्वस्त करें।
इशांत, भुवी, उमेश की गेंदबाजी तिकड़ी संग संभवतः भारतीय टीम कल मैदान में उतरे। इशांत शर्मा का हालिया प्रदर्शन भले न बेहतर हो मगर वो इस बार भी तुरूप के इक्के साबित हो सकते है, ऑस्ट्रेलिया पिचों में तो उन्होंने कमाल की गेंदबाज़ी की भी है। चूँकि साउथ अफ्रीका की तेज़ पिचों पे भारतीय स्पिनर को ज्यादा मदद नही मिलती, बस एक फ्लाइटेड डिलीवरी का विकल्प रहता है, फ़िर भी अंतिम एकादश में आश्विन का खेलना तय है। हाँ अगर जडेजा फिट रहते है तो भारत उनको भी साथ लेकर उतर सकती है क्योंकि जडेजा के रहने से भारत को एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ का भी लाभ मिलेगा।
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By - संकर्षण शुक्ला |
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