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By - हिंदी डाकिया
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NDTV.com |
सरकार ने जो रेलवे स्टेशन ,बेचा वहां निजीकरण का प्रभाव दिखने लगा है।
असर को यहां से देखिए -
क्या आप यकीन कर सकते हैं कि रेलवे स्टेशन जैसी जगह पर दिन भर आपको अपनी बाइक खड़ी करने का किराया 240 रु चुकाना पड़ सकता है, ओर 24 घंटे तक कार खड़ी रखने के अब 590 रुपए लग रहे हैं।
यह अब भोपाल हबीबगंज रेलवे स्टेशन की हकीकत हैं।
आपको याद होगा कि पिछले साल भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन को निजी हाथों में सौप दिया गया था। यह पहला रेलवे स्टेशन था। इस स्टेशन पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप तहत विकसित किया जाना हैं। मध्य प्रदेश की कंपनी बंसल ग्रुप को इस रेलवे स्टेशन के संचालन का ठेका मिला है।
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पार्किंग कीमत |
इस निजी करण का विरोध सोशल मीडिया पर बहुत जोरशोर से किया गया और इसके दुष्परिणाम के बारे में आगाह करती बहुत सी पोस्ट लिखी गयी थी।
अब इस PPP मॉडल की हकीकत सामने आने लगी है।
भोपाल के डीआरएम ने जब पार्किंग चार्ज का अप्रूवल देने वाले इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन के अधिकारियों से बातचीत की। पहले तो नए रेट तय करने वाली बंसल-हबीबगंज पाथ-वे प्राइवेट लि. के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर ने चार्ज घटाने से साफ इंकार किया उन्होंने कहा कि नेशनल अर्बन ट्रांसपोर्ट पॉलिसी-2006 के तहत यह चार्ज बढ़ाए हैं। इसमें पार्किंग के लिए उपयोग की जा रही जमीन का सालभर का किराया और उसकी कीमत का अनुपात देखकर चार्ज तय किया जाता है। अभी चार्ज और बढ़ाया जाएगा।
कंपनी ने चार्ज भले ही बढ़ा दिया लेकिन वाहनों की सुरक्षा को लेकर उसने किसी भी तरह की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया है। मसलन पार्किंग में गाड़ी में कोई डेंट आ जाए, कोई सामान चोरी चला जाए या अन्य कोई नुकसान हो जाए तो वह ऐसे किसी नुकसान की जवाबदार नहीं होगी। यह सूचना भी पार्किंग में लगा दी है
यह होता है निजीकरण करने का मतलब उन लोगो को ढूँढिये जो स्टेशन के निजीकरण का समर्थन कर रहे थे।
सौ बात की एक बात स्टेशन परिसर में जहाँ अब तक पार्किंग की सुविधाएं 20 से 30 रुपये में दी जा रही थी वहीँ सरकार ने रेलवे स्टेशन की विकास की डोर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के हाथ मे देकर पार्किंग के भावों को गगनचुम्बी इमारत की तरह बढ़ा दिया है।
पार्किंग जैसी सुविधा पर इस तरह से मन माने तरीके से बढ़ोत्तररी करना कहाँ तक सही है ?
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