- Get link
- Other Apps
- Get link
- Other Apps
![]() |
लखन जी अपने भेड़ो के साथ। |
ये लखन जी हैं। घुमंतू है। इनका जन्म गुजरात में हुआ है। बचपन से भेड़ चराते हैं। इनके पिता भी भेड़ चराते थे। लखन सात साल के थे तभी गुजरात प्रान्त से निकल आये थे। तमाम राज्यों में घूम-घूम भेड़ चराते हैं। अभी वर्धा, महाराष्ट्र में भेड़ चरा रहे हैं। दो बच्चे हैं वो भी भेड़ ही चराते हैं। पत्नी भी। पूरे घर का पेट भरने का जरिया भेड़ ही है। लखन जी बताते हैं पहले जैसा न देश रहा और न ही लोग। अब हम जहां कहीं कुछ दिन के लिए ठहरते हैं आस-पास के गांव के लोग हमपर शक करते हैं। हमें चोर समझते हैं। लेकिन हम चोर नहीं हैं। कभी किसी का एक पैसा नहीं चुराए। लखन जी बताते हैं इन्ही भेड़ों से जो मिलता है उसी में हम जीवन गुजारते हैं। हम खुश हैं। भेड़ों के बाल की कीमत पूछने पर लखन बताते हैं भेड़ों के बाल की कीमत बढ़ी है। लेकिन बहुत कम। रंगीन बालों वाले भेड़ों के बाल की कीमत 200 से 250 रुपये प्रति किलो है। सफेद (white) भेड़ों का सफेद बाल महंगा बिकता है। सफेद भेड़ के एक किलो बाल की कीमत लगभग 800 रुपये है। लेकिन इनका अच्छी तरह रख-रखाव रखना पड़ता है नहीं तो सही दाम नहीं मिलता।
बचपन से भेड़ चरा रहे घुमंतू लखन के जीवन में कोई खास बदलाव नहीं आया है। जैसे वो 50 साल पहले जी रहे थे वैसे आज भी जी रहे हैं। बस दो साल पहले एक छोटा चाइना फोन खरीद लिए हैं। भेड़ चराते हुए अब बात भी करते हैं। सुबह 7 बजे भेड़ों को लेकर निकल जाते हैं शाम 6 बजे फिर वहीं पहुंच जाते हैं जहां से निकले रहते हैं। लखन जल्दी में थे इससे अधिक बात नहीं हो पाई। अंतिम बात उनके पोटली में बंधे भाजी और रोटी पर खत्म हुई। घुमंतू लखन खुश दिल इंसान हैं। एक बार पूछने पर पोटली हाथ में पकड़ा दिए। बोले आप जल्दी खा लीजिये फिर हम भेड़ों को लेकर आगे बढ़ें।
Comments
Post a comment