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By - प्रवीण झा
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साभार - गूगल |
ये कोई ख़्वाब है क्या जो मैं देख रहा हूँ, तारे जो मेरे भीतर टिमटिमा रहे हैं तुम्हें सोचने के बाद। क्या तुम यहाँ हो जहाँ तुम्हें होना चाहिए या तुम जा चुकी हो किसी और की बाहों में। तुम्हें नहीं मिलेगी वैसी गर्माहट जैसी मेरी मौजूदगी में रहती है। तुम्हारी बातें अभी तक मेरे कानों में गूंज रही हैं कि मैं प्यार नहीं करती शायद कोई धोखा हुआ है आपको। क्या ख़्वाब यूँ ही टूट जाते हैं इश्क़ में, क्या वादा तोड़ने के लिए करते हैं।
जानती हो उस दिन जब मैं तुम्हारे लिए लाया था कानों की बालियाँ तो मैंने उसे ख़ुद पहनकर देखा था बार-बार ये देखने के लिए की ये बालियाँ मुझपर कैसी लगती हैं क्यूंकि मुझमें हर वक़्त रहती हो तुम। क्या मेरे अंदर की स्याह सच्चाई से परेशां हो तुम। क्या तुमनें कभी कोशिश की जानने की किन रास्तों पर चला हूँ मैं।
किस बोझ को उठाता हूँ रोज़ अपने दिल के भीतर।
वो जो मेरी उंगलियां तैर रही थी तुम्हारी कमर के आसपास उन्हें भी पता था कि उनकी मंज़िल कुछ भी नहीं लेकिन ज़िंदगी में कोई मंज़िल हो ये ज़रूरी भी तो नहीं। क्या तुम्हें किसी ने गले से लगाया है जैसे सिमट जाती हो तुम मुझमें। तुम जब कहती हो तो मैं ख़ुद को समझने लगता हूँ एक आकाशगंगा जिसमें समाये हैं, करोड़ों तारे। तुम मेरा सबसे चमकदार तारा हो आओ टूट जाये एक दूसरे के दरम्यान।
हम दोनों रहेंगे एक ही आसमाँ के नीचे, देखेंगे फूल और मौसम को बदलते हुए। जब सब टूटकर बिखर जाएगा तो शायद तुम्हारी आँख से टपका आँसू टूटकर गिरे तुम्हारी उन बोझिल पलकों से जिन पलकों से सैंकड़ो बार निहारा है तुमनें मुझे। तुम्हारे आँसुओ से शायद हो जाये रेगिस्तान में रिमझिम बारिश और शायद फिर पैदा हो ज़िंदगी फिर से।
बहुत टूटा है मुझमें मेरा हिस्सा, तुम्हें भी तो एहसास होना चाहिए कि ज़िंदगी में टूटना किसे कहते हैं जानाँ।
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इस हसमुख चेहरे वाले इंसान का नाम है प्रवीण झा। RED FM में शो प्रोड्यूसर हैं। बहुत अच्छा लिखते है। इनके लिए इश्क एक तमाशा है। |
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