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By - राहुल कुमार
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Credit - firstpost.com |
पूरा देश इस साम्प्रदायिक दंगे में जल रहा है, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल , केरल होते हुए अब यह साम्प्रदायिकता की आग बिहार तक भी पहुच चुकी है।
हम सबको पता है ये दंगे कौन से लोग करवा रहे है और इनका क्या मकसद है लेकिन हमें और आपको यह सोचना है क्या इस देश मे सिर्फ हिन्दू हो या मुस्लिम हो तभी इस देश का विकाश संभव है।.............ऐसा नहीं है।
मेरे पिता जी कहाँ करते हैं पाचों उंगलिया बराबर नहीं होती और ताकत में भी कमजोर होती है लेकिन जब वह एक मुश्त होकर मुठ्ठी बन जाती है तो बड़ा से बड़ा दानव को भी गिर सकती हैं. उसी प्रकार भारत की एकता इन्ही उंगलियों यानी हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख ,ईसाई इत्यादि मिलकर विश्व गुरु होने का सपना पूरा कर सकती है.
जो आप दंगा कर रहे हैं इससे सिर्फ और सिर्फ इन जाहिल नेताओं को ही लाभ मिलेगा।
यह राजनेता जानते है कि यह जाति /धर्म जब तक एक रहेंगी इनकी राजनीति नहीं चलेगी इसी लिए ये इस मुठ्ठी को एक नहीं रहने देना चाहते और यह इसी लिए साम्प्रदायिक दंगों का सहारा लेते हैं और हमलोग इस साम्प्रदायिक दंगों में आपने को आहुति कर के इनकी राजनीति को पालते - पोसते हैं।
सब कहते है हमें आजादी मिले 70 साल हो गए है अब हम आजाद हैं - मैं आपसे पूछना चाहता हूँ हम किस प्रकार से आजाद है हमारी मानसिकता आज भी इन नेताओं के गुलामी की जंजीरों से जकड़ी हुई है . वह जो कहते है, जो सोचते है और जो बोलते है हम वही करते हैं ।
समस्या यह नहीं कि वह हमारे नेता है या मंत्री है समस्या यह है कि हम अपना वोट उन्हें देते समय आपने आप को भी उनके हवाले कर देते हैं और हमारे लिए वही सब कुछ हो जाते है अगर हम आसान भाषा में बोले तो भगवान का दर्जा दे देते हैं वह जो बोले वही हमारे लिए सत्य है और हमारे हित की है उसे स्वीकार करना हमारा परम कर्तव्य है।
हम आज भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की मांग या आवाज़ उठाने के बजाए हिन्दू -मुस्लिम के बहस करने में ज्यादा आराम महसूस करने लगे हैं।
हमने देखा है जब जब जनता जागरूक होकर अपनी आवश्यकता को लेकर सरकार से सवाल करने लगती है अपनी मांगों को लेकर धरना देने लगती है, तब तब यह सरकार साम्प्रदायिक हिंसा और हिन्दू -मुस्लिम डीवेट से गुमराह करने का कार्य करती है और जनता आसानी से अपनी सवालों को छोड़ कर इस लगाए गए आग में आपने को शामिल कर लेती हैं।
रवीश कुमार कहते है कि " दंगे होते नहीं कराए जाते हैं, गढ़े जाते हैं" अब यह पूरे देश की जनता को सोचना है कि यह दंगे कौन करा रहा है और इस दंगे से किसको लाभ मिल रहा है।
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राहुल कुमार |
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