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हिंदुओ के मंदिर में उनका भगवान इंसानियत बेच कर सब कुछ अपने ही घर में होते देख रहा था उसी समय आपका अल्लाह भी तो आँखे बंद किये इस तमाशे को होने दे रहा था।
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By - अली शेख
"हमारी सबसे बड़ी अदालत वो अल्लाह की अदालत है। जिसमें हर किसी का फैसला होता है। हमने उसी अदालत पर छोड़ दिया है। जो मेरा रब करेगा, बस वो ही होगा। रब किसी को नहीं छोड़ता। सबको देख रहा है वो।"
ये शब्द आसिफा के पिता के हैं उन्हें भरोसा हैं की उनका रब आसिफा के आरोपियों के साथ सही सुलुख करेगा लेकिन उन्हें ये सवाल नहीं हैं कि आखिर आसिफा की हिफाज़त करते समय उनका रब कहाँ गया था ? ये सबसे बड़ी अदालत तब क्यों बंद थी जब एक एक कर हर कोई उस मासूम के जिस्म के साथ मज़े लूट रहा था। मैं इसे धर्म का अंधापन ना कहूँ तो और क्या कहूँ, एक तरफ जहाँ हिंदुओ के मंदिर में उनका भगवान इंसानियत बेच कर सब कुछ अपने ही घर में होते देख रहा था उसी समय आपका अल्लाह भी तो आँखे बंद किये इस तमाशे को होने दे रहा था।
आप ही कहते हो न की ये दुनिया उसी की बनाई हुई हैं और जो कुछ होता हैं उसी की मर्ज़ी से होता हैं फिर क्या ये जो कुछ हुआ उसकी मर्ज़ी के खिलाफ हुआ या फिर पडोसी भगवान के घर में आपके रब की मर्ज़ी चल नहीं पायी। राम के नाम पर दुनिया को गुमराह करनेवाला वो धर्म का रखवाला जब उसी के मंदिर में एक आठ साल की मासूम का बलात्कार कर रहा था तो क्या राम को अपने भक्त पर गुस्सा नहीं आया या वो शाबासी दे रहे थे अपने इस भक्त को उसकी इस काली करतूत के लिए।
दो दिन से हर कोई इस मुद्दे पर लिख रहा हैं, हर कोई इंसानियत को गाली दे रहा हैं लेकिन अब तक कोई इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाया की वो अपने धर्म को सवाल कर सके। मुझे पता हैं आपका भगवान आपको सवाल की इजाज़त नहीं देता होगा, आपको तो उसके सामने भीख मांगने की आदत हैं, गिड़गिड़ाने की आदत हैं लेकिन मैं सवाल करूँगा क्योंकि आप लोगो की तरह मैं धर्म का अंधा नहीं हूँ मैं हर वो चीज़ देख सकता हूँ जो मेरी आँखों के सामने, मेरे देश में, मेरे समाज में आज हो रही हो फिर वो चाहे आसिफा के साथ हुई हैवानियत हो या फिर गुड़िया के साथ हुई शैतानी हरकत।
ये गुस्सा आज इसीलिए हैं क्योंकि यहीं भगवान हैं जो आज हमें धर्म में बाँट चूका हैं। सोचो अगर वो लड़की मुसलमान ना होती तो क्या उसके साथ इस तरह की साजिश की जाती , सोचो अगर वहां राम का मंदिर ना होता तो क्या इस जगह की जांच पहले ही होकर ये मामला सामने नहीं आ जाता। आपका धर्म आपको अंधा कर रहा हैं और आपसे आपकी इंसानियत छीनता जा रहा हैं। अब समय आ गया हैं की आप अब अपने आप से सवाल करे की क्या सच में हम इंसान को भूलकर एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ सिर्फ और सिर्फ़ धर्म ही पनप रहा हैं।
आज आपके देश की राजनीती से लेकर आपके घर तक सब कुछ धर्म के सहारे चल रहा हैं हालात तो ऐसे हो गए हैं की मानो धर्म ना हो ये साँसे बन गई हो आपकी। एक मुर्दा इंसान का पुतला टूट जाने पर पुरे देश की हालत इतनी बिगड़ जाती हैं की मानो कोई इनकी माँ या बहन का बलात्कार कर गया हों लेकिन आज जब एक मासूम बच्ची को इतनी बेरहमी से मार दिया गया उसके पहले उसके साथ कई बार बलात्कार किया गया फिर भी आपकी इंसानियत नहीं जागी। इसके लिए कोई भारत बंद नहीं करेगा, इसके लिए कोई बसे नहीं जलायेगा कोई मांग नहीं करेगा की उन आरोपियों का साथ देनेवाले हर उस शख्स को मौत से भी बदतर सजा का प्रावधान हो।
लौट आओ इस धर्म के गलत रास्ते से इंसानियत की राह पर, तुम्हारा भगवान अगर हैं भी तो वो तुम्हे एक साथ एक दूसरे की मदद करता देखकर ज़्यादा खुश होगा। इसी तरह धर्म की आग में जलते रहे तो अपने ही बनाये इस संसार में तुम खुद को ही गुनाहगार पाओगे।
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