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ये इंजीनियर भी ना लगता है कोई काम छोड़ेंगे नहीं। हर क्षेत्र में हाथ आजमाने
में लगे हुए है। ऐसे ही एक मैकेनिकल इंजीनियर है श्री आलोक कुमार जी। the चिरकुट्स इनका पहला उपन्यास है जो हिन्द युग्म द्वारा
प्रकाशित है और कीमत है मात्र एक सौ पंद्रह रूपये। वैसे तो कीमत और प्रकाशक के
बारे में मैं अंत में बताने वाला था लेकिन पहले बताने का एक कारण है। और वो कारण
यह है कि एक सौ पंद्रह रूपये में आपको दो अलग-अलग कहानियाँ पढ़ने को मिलेंगी।
एक कहानी है जिसमें चार दोस्त, जो अपने आप को the चिरकुट्स कहते हैं, आपको इंजीनियरिंग कालेज और हास्टल की रोमांचक दुनिया में ले जाते है। जहाँ सीनियर्स का खतरा है, रैगिंग की मुसीबत है, परीक्षा का भूत है और प्लेसमेंट का जुझारूपन है। इन सबसे निपटने के लिए ये चारों चिरकुट, जैसी हरकतें करते हैं और जो तिकड़म भिड़ाते हैं उसे पढ़ कर आप खुद को हंसने से नहीं रोक पाऐंगे।
और दूसरी कहानी एक लड़के की लव-स्टोरी
है। वो लड़का जो एक छोटे शहर से आता है और अपने माँ-बाप के सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। उसके लिए प्यार बेकार
की चीज है, जिससे वो दूर ही रहना चाहता
है। लेकिन कुछ ऐसा होता है जो उसे एक ऐसी
लड़की के प्यार में डाल देता है जिसके असली माता-पिता मुस्लमान हैं। बस यही बात लड़के के पिता को नहीं सुहाती है और वो इस शादी
से इंकार कर देते हैं। लेकिन यह लड़का तो the चिरकुट्स का हिस्सा है जो आसानी से हार नहीं मानते है। इनके पास हर समस्या का
समाधान है और वो भी अलग अंदाज में। तो बस, अब ये चिरकुट्स अपनी चिरकुटई से इसके प्यार को सफ़लता दिलाने में जुट जाते हैं।
यह उपन्यास कभी भी आपको ऊबाउ नहीं लगता है। हर समय चिरकुट्स के कारनामें
गुदगुदाते रहते हैं। किसी फ़िल्म की तरह इसकी कहानी आपकी आँखों के सामने चलती रहती
है। शायद कहीं ना कहीं इसमें देश की वर्तमान परिस्थितियों और उसके समाधान का भी
प्रयास किया गया है।
अगर छोटे में कहुँ तो यह एक रोचक उपन्यास है जिसे सबको पढ़ना चाहिए। श्री आलोक
कुमार को उनके प्रयास के लिए बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाऐं।
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लेखक - अलोक कुमार |
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