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By - प्रवीण झा
कितना आसान होता है ना सब कुछ भूल जाना, मुझे उम्मीद है तुम मुझे और मेरे इश्क़ को भूल चुकी होगी। कुछ याद होगा तो ज़रूर बताना ख़ुद को और महसूस करना गर्माहट उन हाथों की जो तुम्हारे गालों पर प्रेमी की तरह कम और पिता की तरह ज़्यादा महसूस होती थी। ये उसी दिन की बात है जब तुम मेरे साथ सात जन्म के वादे कर रही थी और ये भी कह रही थी कि आप मुझे कभी छोड़कर मत जाना। लेकिन जानाँ तुमनें ख़ुद को झूठा बना लिया। ख़ैर इसका हिसाब होगा किसी रोज़ जब तुम बैठी होगी किसी अमीर, औहदेदार और ख़ूबसूरत आदमी की मल्लिका बनकर लेकिन सच कह रहा हूँ तुम्हें फ़िर उस वक़्त याद आएगी उसी गर्माहट की जो मेरे हाथों में है।
आँखों पर पड़े पर्दे को कोई और नहीं हटा सकता लेकिन कोशिश की जानी चाहिए। तुम भी दुनिया जैसी हो गई हो क्या जो कमज़ोर है, डरी हुई है, लेकिन मजबूत रहने का गुमाँ रखे हुए है। जिस दिन तुम मुझसे टकराना यूँ ही राह चलते हुए तो कोशिश करना नज़र मिलाने की लेकिन मैं जानता हूँ तुम नहीं मिलाओगी नज़रें क्यूंकि तुम घबराती हो अपने आप से, दूसरों की नज़र से दुनिया नहीं देखी जाती। मैंने बहुत कोशिश की जिससे तुम नज़र पैदा करो लेकिन उससे हमारे बीच तुमनें फ़ासले पैदा कर लिए। आज यूँ करना कि ख़ुद को आईने में देखना और हाँ ग़ौर से देखना जिससे तुम्हें एहसास हो कि तुमनें खोखली दुनिया को चुन लिया है, खोखले लोग चुन लिए हैं, सफ़ेदपोश कपड़े पहनने वाले शहरी जंतु, जिन्हें कंक्रीट के जंगलों में रहना पसंद है, जो एक दूसरे की ज़िंदगी में करते हैं दख़लअंदाज़ी।
सुनो, अब वादे मत करना किसी से जब तुम निभा ना सको, ख़ुद को इतना झूठा मत बनाओ, कोशिश करो ख़ुश रहने की। अब किसी से प्यार मत करना क्यूंकि तुम नहीं कर पाओगी। याद है ना वो अनगिनत ग़ुलाब के फूल जो मैं लाता था तुम्हारे लिए जब भी तुम उदास होती थी, याद है ना अनगिनत रातें जब मैंने तुमसे बात करते हुए नींद को कभी हमारे बीच में नहीं आने दिया।याद है सब कुछ जिसे याद रहना चाहिए, हाँ सब कुछ याद रखना और हो सके तो आज रोना फूटकर जिससे आँखों के नीचे काले धब्बे पर जायें और वो सभी स्याह ख़्याल निकल जाए जो तुम्हारे भीतर हैं।
एक दिन आएगा जब तुम्हें मेरे सामने ख़ुदा लाएगा, मुझसे नज़रें मत मिलाना क्यूंकि मेरी आँखें अब लाल हो गई, नींद आती नहीं, खाना भाता नहीं। दुनिया मज़ाक उड़ाती है मेरे अकेलेपन का। मैं जानता हूँ कि ये दुनिया एक दिन ग़म करेगी अपनी एक-एक हरक़त का जो ये मेरे दिल को दुखाने में कोई कसर नहीं रख रही है फ़िलहाल, एक दिन यही लोग मुझे बिठाएंगे अपनी पलकों पर और चूमेंगे मेरे हाथों को जैसे मैं चूमता था तुम्हें। ❤
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