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By - पवन मौर्या
किससे आदेश पर.. किससे आदेश पर..बिना चेतावनी के गोली चला देते हो. जनता के द्वारा, जनता के लिए, जनता की चुनी हुई सरकार के आदेश पर या फिर तुम्हारे आला अफसरान जो मोटे-मोटे नोटों के बंडल लेकर तुम्हे वहशी भेड़िये की तरह इन नागरिकों पर छोड़ देते हैं. इनकी कलाबाजी तुम नहीं समझ पाओगे.
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फ़ोटो - द इकोनॉमिक्स टाइम्स |
किससे आदेश पर.. किससे आदेश पर..बिना चेतावनी के गोली चला देते हो. जनता के द्वारा, जनता के लिए, जनता की चुनी हुई सरकार के आदेश पर या फिर तुम्हारे आला अफसरान जो मोटे-मोटे नोटों के बंडल लेकर तुम्हे वहशी भेड़िये की तरह इन नागरिकों पर छोड़ देते हैं. इनकी कलाबाजी तुम नहीं समझ पाओगे.
खैर, तुमने गोली चला दी. देखते ही देखते स्पॉट पर दस नागरिकों के शव पसर गए. और सैकड़ों प्रदर्शनकारी घायल हो गए. चलो अच्छा हुए ये मर गए, तुम्हारे हिसाब से और लोगों को मरना चाहिए था. क्योंकि, तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वेदांता का स्टरलाइट कॉपर कारखाने को तुम दुनिया का सबसे बड़ा कॉपर ढलाई कारखाना बनाना चाहते हो.
वेदांता का ये कारखाना आम स्थानीय नागरिकों को क्या तोहफा देता है. ज़रा देखो सल्फरडाई ऑक्ससाइड से फेफड़े का कैंसर, कंपनी के प्रदूषण से दूषित हो चुके पानी से त्वचा रोग, नेत्र रोग और आबोहवा में घुली चुकी जहरीली मौत. कोई घर ऐसा नहीं है, जहाँ एक-दो व्यक्ति किसी बीमारी से परेशान न हों साँस की तकलीफ़, चर्मरोग और कैंसर जैसी बीमारियाँ तो आम हो गई हैं.
अब बताओ हमारा प्रदर्शन करना गलत है. यदि यह गलती है, तो ये गलती हम लाख बार करेंगे. और कान खोल के सुनों तूतीकोरिन में वेदांता, स्टरलाइट कॉपर कारखाने के आसपास के ग्रामीणों के जिंदगी के लिए इसका बंद होना ज़रूरी है. ज़रा सोचो, क्या ज्यादा जरूरी है.
नोट के बण्डल, वेदांता का स्टरलाइट कॉपर कारखाना, कारखाने से निकलने वाला जहर, तिल-तिल कर मर रहे ग्रामीण. या फिर...ग्रामीणों की जिंदगी।
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