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नवभारत टाइम्स का ये लेख आपको भी पढ़ना चाहिए जिसे लिखा है सुनील मेहरोत्रा जी ने।
वह शनिवार का दिन था। क्राइम ब्रांच चीफ के रूप में हुई हिमांशु रॉय की पोस्टिंग को महज चंद दिन हुए थे। शाम का वक्त था। उनके केबिन के बाहर की गैलरी में मेरे अलावा दो और पत्रकार खड़े थे। एक अंग्रेजी अखबार से जुड़ा हुआ था, जबकि दूसरा मराठी अखबार से। उन्होंने पहले मराठी अखबार के पत्रकार को बुलाया। करीब 20 मिनट उससे बात की। उसके बाद अंग्रेजी पत्रकार उनके केबिन में गया। वह भी लंबे समय तक उनसे गपशप के बाद ही बाहर निकला। अब मैं अपने बुलावे का इंतजार करता रहा।
कुछ मिनट बाद उनका सिपाही केबिन से बाहर आया। बोला, साहब आज किसी और से नहीं मिलेंगे। मुझे बहुत बुरा लगा। मैं उनके ऑफिस और पुलिस मुख्यालय से बाहर तो आ गया, लेकिन बाद में मैंने उन्हें गुस्सा भरा एक एसएमएस भेजा। कुछ मिनट बाद ही हिमांशु रॉय का मेरे मोबाइल पर कॉल आया। बोले, सुनील जी सोमवार को तीन बजे आप अपने सारे असाइनमेंट कैंसल कर दीजिए और मैं भी उस वक्त का अपॉइंटमेंट सिर्फ आपके लिए फिक्स कर रहा हूं। उसी दिन मैं आपकी सारी गलतफहमियां दूर करता हूं। सोमवार आया और मैं तीन बजे उनके केबिन में पहुंच गया। उन्होंने अपने कॉन्स्टेबल को चाय के लिए बोला और मुझसे सिर्फ एक ही बात कही। आपके दिल में जो भी है, अभी बोल दीजिए। दिल में कुछ भी न रखिए। भूल जाइए कि मैं जॉइंट कमिश्नर हूं। मैंने फिर शनिवार को दो पत्रकारों को बुलाने, लेकिन मुझे न बुलाने पर अपनी नाराजगी साफ जाहिर की। उन्होंने माफी मांगी और सफाई में कहा कि दरअसल, बाकी के जो पत्रकार थे, उन्होंने अपना विजिटिंग कार्ड भेजा था, जबकि मैंने एक चिट पर अपना नाम लिख भेजा था। इस चिट को उन्होंने बिना पढ़े मान लिया कि मैं आम विजिटर हूं, पत्रकार नहीं, इसलिए उन्होंने मुझे नहीं बुलाया। उन्होंने जिस तरह 'दिल में कोई बात न रखने की बात' कही, मैं इस बड़े दिल वाले अधिकारी को कभी नहीं भूल पाया। उसके बाद हम दोनों की ऐसी दोस्ती हो गई कि मुझे मेरे डायल 100 कॉलम के लिए उन्होंने अपने अधिकारियों से कई स्टोरी दिलवाईं।
अंडरवर्ल्ड की कमर तोड़ी
हिमांशु रॉय अपनी बॉडी बनाने के लिए बहुत मशहूर रहे हैं। उन्हें एक सीनियर आईपीएस अधिकारी ने पहलवान नाम दे रखा था। एक बार इस सीनियर आईपीएस अधिकारी ने उनके इस पहलवान नाम के साथ उनके काम को लेकर कई तंज कसे। उनके इस तंज के पीछे सार यह था कि हिमांशु रॉय को 'बॉडी-ऑडी' बनाने के अलावा कुछ नहीं आता। उस सीनियर आईपीएस अधिकारी ने हिमांशु रॉय के अलावा भी कई और अधिकारियों का उस दिन अपने केबिन में मजाक उड़ाया था।
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फ़ोटो - इंडिया वेस्ट |
मैंने अपने डायल 100 कॉलम में जब उस पूरे प्रकरण पर लेख लिखा, तो काफी विवाद हो गया। वह सीनियर आईपीएस अधिकारी मुझसे बहुत नाराज हो गए। अगले दिन मुझे लखनऊ जाना था। मेरी ट्रेन शाम को जैसे ही इटारसी पहुंची, जॉइंट सीपी, क्राइम के लैंडलाइन नंबर से कॉल आया। पीए बोला, साहब को आपसे बात करनी है। हिमांशु रॉय ने उस वार्तालाप में सिर्फ चार शब्द कहे- थैंक यू सुनील जी। उसके बाद उन्होंने फोन कट कर दिया। जिस हिमांशु रॉय पर उनके पहलवान उपनाम और पहलवानी के अलावा कुछ और न आने की बात कर तंज कसा गया था, वह बाद में मुंबई क्राइम ब्रांच के सबसे सफल जॉइंट सीपी में से एक रहे।
जे.डे केस को मुंबई क्राइम ब्रांच ने हिमांशु रॉय की लीडरशिप में डिटेक्ट किया, लेकिन उस डिटेक्शन से पहले मुंबई पुलिस में क्या-क्या हुआ, वह एक खुली किताब की तरह है। फरीद तनाशा, जो दाऊद के मर्डर के लिए कई बार पाकिस्तान गया था, उसका तिलक नगर में मर्डर कर दिया गया। ऐडवोकेट शाहिद आजमी, बुकी छोटे मियां का कत्ल, शक्ति मिल रेप कांड, आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग... हाई प्रोफाइल मामलों की बहुत लंबी लिस्ट है और हर बड़ा मामला उनके नेतृत्व में ही डिटेक्ट हुआ।
डी. शिवानंदन और राकेश मारिया को अंडरवर्ल्ड नेटवर्क का इतना ज्ञान था कि उन्हें अंडरवर्ल्ड का इनसाइक्लोपीडिया माना जाता था। हिमांशु रॉय जब क्राइम ब्रांच में जॉइंट सीपी बनकर आए, तो उनका अंडरवर्ल्ड ज्ञान एकदम जीरो था। चार साल बाद जब मुंबई क्राइम ब्रांच से गए, तो अंडरवर्ल्ड की कमर तोड़ कर गए, जीरो से हीरो बनकर गए।
राजनेता ने 'दबंग' बनाया
यह सच है कि उन्हें अपनी बॉडी बनाने का बहुत शौक था, पर यह शौक उन्हें जन्मजात नहीं था। इसके पीछे महाराष्ट्र के एक बहुत बड़े राजनेता का तंज था। एक पुलिस अधिकारी ने एनबीटी से कहा कि हिमांशु रॉय जब जोन-वन में थे, तब बहुत दुबले-पतले थे। एक बार वह ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी की पोस्ट पर थे। उन्हें सरकार की तरफ से एक बड़े राजनेता को गिरफ्तार करने का जिम्मा सौंपा गया। रॉय पूरी पुलिस फोर्स के बाद उस राजनेता के घर पहुंचे।
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फ़ोटो - अमर उजाला |
अपना परिचय दिया कि 'हिमांशु रॉय, डीसीपी, मुंबई पुलिस।' फिर बोले, 'सॉरी सर, मुझे आपको गिरफ्तार करने को कहा गया है।' उस नेता ने हिमांशु रॉय का दुबला-पतला शरीर देखा और फिर मराठी में जो बोला, उसका हिंदी सार यह था कि अरे, तुम पिद्दी शरीर वाले मुझे गिरफ्तार करोगे! हिमांशु रॉय ने उस राजनेता की इस टिप्पणी को दिल पर ले लिया और उसी के बाद अपनी बॉडी बनाने को लेकर गंभीर हो गए। वह इरोज सिनेमा के पास एक जिम में नियमित सुबह डेढ़ घंटे जाते थे। खाने में अंडे बहुत खाते थे, पर विडंबना देखिए कि जब उन्हें कैंसर हुआ, तो उनका शरीर फिर पुराने आकार में आ गया। वह बेहद कमजोर हो गए, उनके सिर के बाल झड़ने लगे। उन्होंने अपने गम को कम करने के लिए ब्रिटिश लेखक पी.जी. वोडेहाउस के दर्जनों हास्य उपन्यास मंगाए, पढ़े, पर उनका गम कम नहीं हुआ। ... शुक्रवार को इसी अवसाद में उन्होंने खुद को गोली मार ली।
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