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By - अमित मंडलोई
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फ़ोटो - गूगल |
रजनीकांत के चुटकुले याद हैं ना। वह तो सुना ही होगा कि एक बार रजनीकांत ने एक ग्रेनेड फेंका, उससे 50 लोग मर गए। इसके बाद ग्रेनेड फटा। यह भी कि रजनीकांत इतने फास्ट है कि वे हमेशा एक दिन पहले ही आ जाते हैं। रजनीकांत की पसंदीदा डिश लाल मिर्च की मीठी खीर तो कोई नहीं भूल सकता। और वह कि एक बार अंतरिक्ष यात्री अनाम आकाश गंगा के एक अनजान ग्रह पर पहुंचे तो देखा वहां रजनीकांत की फिल्म का पोस्टर पहले से लगा हुआ था।
ये फिल्मी रजनीकांत हैं, जिनके चुटकुलों ने कुछ समय पहले तक पूरी दुनिया में धूम मचा रखी थी। हालांकि अब ये कम ही सुनाई देते हैं, क्योंकि इनकी जगह किसी और ने ले ली है। सियासी रंगमंच की 70 एमएम स्क्रीन पर कहीं बड़े सितारों का पदार्पण हो चुका है। वे रोज ऐसे-ऐसे चुटकुले गढ़ रहे हैं कि जनता पेट नहीं सिर पकड़ कर चुटकुलों पर कम और खुद पर ज्यादा हंस रही है। इन ठहाकों की लज्जत इसी में है कि हंसी से ज्यादा अफसोस निकल रहा है।
नए रजनीकांत भगतसिंह की जेल पहुंच गए। एक पल में वहां का सारा रिकॉर्ड खंगाल लिया और दूसरे ही पल देश को बता दिया कि भाइयों और बहनों भगत सिंह से मिलने पंजा परिवार का एक भी सदस्य नहीं गया। उन्हें बचाने की कोशिश करना तो दूर किसी ने मुलाकात करने की जहमत भी नहीं उठाई। जब कलई खुली तो कह दिया कि सारे पन्ने खंगाल लिए थे, लेकिन एक पन्ना चूहा ले गया। उसके बिल तक परछाई पहुंची तो डरकर उसने वह पन्ना ही कुतर लिया। घबराहट में उसका हार्ट फेल हो गया। उसकी आत्मा ने भी जल्दबाजी में तुरंत मोक्ष ले लिया, वरना दूसरे जन्म में जाकर भी उससे हकीकत उगलवा ली जाती।
फिर इतिहास में घुसकर सेना का भी कच्चा चिट्ठा खोल दिया गया कि कौन से सेना अधिकारी की सरकार के साथ नहीं बनती थी। उन्हें कैसे साजिश कर सरकार ने प्रताडि़त किया जिसके चलते, वह जांबाज अफसर इस्तीफा देने को विवश हो गया। इस पर जमकर तालियां बजवाई गईं कि देखिए पुरानी सरकारें कितनी निर्लज्ज और गैर जिम्मेदार थीं। सेना अधिकारियों के साथ भी साजिश से भी नहीं चूकी। लोगों ने जब पन्ने पलटाए तो पता लगा जिन अफसर का जिक्र हो रहा है वे उस समय सेना प्रमुख थे ही नहीं। बाद में सरकार ने ही उन्हें यह ओहदा दिया। मजे की बात ये है कि उन्होंने कभी इस्तीफा दिया ही नहीं था। रक्षा मंत्री से चीन के मसले पर कुछ मतभेद के बाद पेशकश जरूर की थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने ही उसे खारिज कर दिया था।
ढोल की पोल सामने आई तो सब चुप हो गए कोई कुछ नहीं बोला पर जुमले तो अपना काम दिखा ही चुके थे। अब जनता कहां जाकर देखेगी कि कौन सेल्युलर जेल में मिलने गया था और कौन नहीं। या यह भी चेक करने की जहमत कितने लोग उठाएंगे कि वास्तव में सेल्युलर जेल के बंदी से किसी को मिलने की इजाजत थी भी या नहीं। सेना अफसरों के झगड़ों का सच भी जानने कोई नहीं जाएगा। तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ यह बात कई लोगों के भीतर पैठ ही गई होगी। ऐसे ही चुटकुले लोगों के जेहन में भरे जा रहे हैं, जिनमें न सिर्फ वर्तमान बल्कि इतिहास और भविष्य को भी तोड़-मरोडक़र पेश किया जा रहा है।
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फोट - गूगल |
मेरे एक सीनियर कहा करते थे कि रजनीकांत के पास एक टीम है, जो ये चुटकुले बनाती है और उन्हें बाजार में दौड़ाती है। ताकि रजनी ट्रेंड करते रहें, उनका रसूख और दबदबा बरकरार रहे। उनके नए संस्करण के बारे में यह बात उलट है। या तो वे खुद चुटकुला बन रहे हैं या उन पर ज्यादातर चुटकुले जनता बना रही है। जैसे प्लेन में पायलेट से उन्होंने पूछा कि अब कौन सा देश बाकी रह गया है, जवाब मिला हुजूर अब तो अपना भारत ही बाकी है। फिर वह भी कि उन्होंने पूछा कि किस जगह का दौरा बाकी है, सेक्रेटरी ने कहा, जनाब अब तो दिल का दौरा ही बचा है। एक यह भी कि हुजूर एक स्कूल में गए तो पता चला टीचर नदारद है। बच्चों से पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कभी-कभी ही आते हैं। दूसरा सवाल दागा ऐसे में स्कूल कैसे चलता होगा। बच्चों ने जवाब दिया, जैसे आप देश चला रहे हैं।
इन चुटकुलों के भीतर छुपा जनता का दर्द सबकुछ कह रहा है उसे और कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है।
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