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By - पवन कुमार मौर्य
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Credit - Explore india |
मोहम्मद अली जिन्ना ने काकोरी कांड के चार देशभक्तों को बचाने के लिए अपने बूते दस महीने तक केस लड़ा था. बाल गंगाधर तिलक पर 1905 में ब्रिटिश सरकार ने राजद्रोह का मुकदमा लगाया था. तब गुलाम भारत में कई नामी वकील हुए थे. किंतु तिलक ने अपना केस लड़ने के लिए जिन्ना को चुना. जिन्ना तब तक अपनी पहचाना नामी और सफल वकीलों में गिने जाने लगे थे. जिन्ना ने तिलक का केस लड़ते हुए उम्रकैद की सजा कारावास में बदलाव दी. और अपनी जानदार तर्क से ब्रिटिश जजों के दिमाग को तरबतर कर दिया.
अब आते हैं मुद्दे पर जिन्ना मुसलमानों के लिए अलग देश चाहते थे, इस्लामिक देश नहीं. जिन्ना चाहते थे कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते कनाडा और अमरीका जैसे हों. जिन्ना ने हिंदू-मुस्लिम मित्रता के लिए काफ़ी काम किया. लेकिन भारतीय स्वंत्रता इतिहास में कभी जेल नहीं जाने वाले एक मात्र संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर के बाद मुहम्मद अली जिन्ना का नाम जुड़ गया.
बेशक, जिन्ना ने पकिस्तान बनाने की माँगा की थी. इस बीच समर में इसका जिक्र उतना ही जरूरी हो जाता है, जितना की भूने हुए गोश्त में नमक. यह मुआमला 1900 के कुछ दशक बाद की है. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने बंगाल विभाजन की मांग की थी. इसके साथ ही कई हिन्दू नेताओं नेपथ्य में मानना रहा है कि मुस्लिमों के लिए एक अलग देश बने. बात दीगर है कि वो अवसरवादी अपनी बात सामने कहने में कतराते थे. मुखर्जी की बंगाल विभाजन वाली बात भारत के बंटवारे में एक कच्ची ईंट का काम किया.
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क्रेडिट - गूगल |
बात आगे बढ़ी, वक्त बदला, इतिहास बदला. नई पीढ़ी आई. इतिहास के घालमेल में नई पीढ़ी ने बहुत कुछ खो दिया. जो पाया वो थोथा और छिछला मिला. आपस में बांटने वाले तथ्य मिले. कभी कोई एकरूपता की बात नहीं, समरूपता की बात नहीं, भाईचारे की बात नहीं. आखिर....आखिर...आखिर. बहुत सवाल हैं.
फिलवक्त, बुधवार दोपहर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर हटवाने की मांग को लेकर हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता कैंपस में पहुँचे थे, जिसके बाद वहाँ बवाल मच गया. बाद में पुलिस को हालात काबू में करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें कई छात्र घायल हो गए थे. शनिवार को भी जिन्ना की तस्वीर को लेकर बवाल थमा नहीं था. भाजपा की सियासत में एक बार से जिन्ना का जिन्न जिवंत हो गया है. यह षड्तंत्र भी हो सकता है. अन्यथा घटनाक्रम तो बन ही गया.
तेरह साल पहले लालकृष्ण आडवाणी ने भी पहल करते हुए जिन्ना के मजार पर चादर चढ़ाई. किंतु, उनका यह प्रयास उनके ही पार्टी को रास नहीं आया. दबी जुबान से तमाम हिन्दू संगठन आडवाणी का विरोध करने लगे. इसके चलते आडवाणी की किरकिरी उनके ही पार्टी में हुई. भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर मचा विवाद बेवजह है और ऐसा माहौल नहीं बनाया जाना चाहिए.
दो टूक
कुल मिलकर यह सियासत का बहुत बुरा खेल इन दिनों देश में खेला जा रहा है. इसके जिम्मेदार सभी हैं. चाहे वह राज्य या केंद्र सरकार हो, आम नागरिक हो या सतही मीडिया. साफ़-संचार की कमी और सस्ती विकास से भ्रमित करने वाली राजनीति से देश कहां जा रहा है. शायद अपने को कहीं एक जगह ठिकाकर गुनने पर यहीं जवाब आता है. .... यार ये सब गलत है. एक व्यक्ति की तस्वीर यदि कहीं लगी है. जिसको नहीं लगना चाहिए तो आराम से हटा दो. इसके लिए देशभर की मीडिया, नेता और खासकर युवावर्ग को इस सियासती आग में झोंकने की क्या आवश्यकता है.
Aligarh muslim university
India
Mohmmad Ali Jinnah
Pakistan
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
भारत
मोहम्मद अली जिन्ना
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