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फ़ोटो - shuttersstock.com |
ऑफिस से घर आकर भी मैं घर में नही था क्योंकि इन दिनों आफिस के स्टाफ के छुटटी पर होने की वजह से काम कुछ ज़यादा था अपने ऑफिस की रंगबिरंगी फ़ाइलो मे उलझा हुआ था कि तभी बच्चों जैसा मासूम चेहरा लिए मेरी वाइफ आ गयी और बड़ी मासूमियत से सवाल पूछा वो सवाल जिसका जवाब फालतू बैठे आदमी के पास नही होता मैं तो फ़िर भी प्राइवेट कंपनी का मामूली कर्मचारी "जान आज कौनसी तारीख़ है " अपने फ़ाइलो को छोड़ मे उसकी जानिब देखने लगा उसकी इन आँखों मे चमक थी और चेहरा देखता ही रहा जैसे आज पहली बार देखा हो मगर उसके फिर इसरार पे सोचने का दिखावा करते हुए कहा आज हमारी शादी हुई थी उसकी आँखों मे जैसे कोई चिंगारी थी जो दहकते शोलो मे बदल गई थी आपने आपको संभालते हुए उसने कहा नही आज हमारी शादी नही हुई थी और ये कह कर वो बाहर खाना बनाने चली गई।
शायद मुझे अपनी जान बचाने का मौका दिया था और मुझे याद आया कि वो सही थी क्योंकि हमारी शादी तो ठंड मे हुई थी इसी लिए आज भी फूफा जी ताना मरते हुए कहते है कि "शादी जब अकेले ही करनी थी तो कोर्ट मैरिज कर लेते " अपने दिमाग पर हर बार सोचने पर भी जवाब नही मिल रहा था की तभी वो फिर से आयी मगर अब चेहरा बदला हुआ था या शायद मुझे लग रहा था और कहा "खाना लग गया है जल्दी आये" मैं अपनी मेज़ से उठकर कमरे से डाइनिंग रूम के दरमियाँ जिसकी दूरी महज़ कुछ कदमो की थीं उसमे उसे लगभग 50 ज़रूरी तारीख़े बताया और वो हर बार न कहती रही आखिर टेबल पर पौंछकर कुर्सी पर बैठते हुए कहा पक्का आज तुम्हारी सालगिरह (birthday) है और वो बिना जवाब दिए किचन मैं चली गयी।
अगर आपकी बीवी जवाब दे तो हालात सामान्य है मगर शायद ये तूफान से पहले की शांति थी और वो एक डिब्बा हाथ मे लेकर आई और मेरे सामने रखते हुए कहा हैप्पी बर्थडे जान आज मेरी नही आपकी सालगिरह है उस डिब्बे मैं केक था जिसपर मेरा नाम लिखा था अपने परिवार को छोटी-छोटी खुशियां देने मे और आफिस मैं दिन रात काम करने के चक्कर मे मैं अपना बर्थडे भूल गया था।
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शायरी और अफ़साने लिखने का शौक़ जो शायद आगे एक अफ़सनेगार बना दे मीडिया स्टूडेंट और खुद के बारे मे बस इतना कहूंगा जिनके पास दर्द बेहिसाब होते है लोग कहते है वो अफ़सानेगार होते है |
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