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By - प्राची
माननीय मुख्यमंत्री जी,
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फ़ोटो - गूगल |
माननीय मुख्यमंत्री जी,
मैं इलाहाबाद बोल रहा हूँ। कहने को तो एक शहर मात्र हूँ लेकिन मैं मुझमें रहने वाले हर इंसान की धड़कन में बसता हूँ।
मेरा इतिहास, मुझे सजाने संवारने वाले शासकों का इतिहास , कितना पुराना है इस बात को पूरा विश्व जानता है।
त्रेतायुग में भगवान राम के चरणों से मैं पवित्र हुआ हूँ तो समुद्र मंथन से निकले अमृत की बूँदें आज भी संगम में हैं जिसकी चाह में लाखों- करोड़ों लोग प्रतिवर्ष संगम स्नान के लिए मेरे पास आते हैं।
वो मूक साइबेरियन पंक्षी भी मेरे प्यार की डोर में बंधे हैं जो हर साल तय मौसम में मुझसे मिलने चले आते हैं।
मेरे संगम के जल में सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति प्रतिबिम्बत होती है। लाइन साहब बाबा की मजार जैसी प्रसिद्ध मजारें हैं तो रोमन कैथड्रिल जैसी चर्च है साथ ही मैं सिद्धपीठों का भी केंद्र भी हूँ। मेरे वास्तविक रूप को आप किसी धर्म के चश्मे से नही देख सकते।
मैं भारत के मूलभूत तत्व विभिन्नता में एकता का जीता जागता उदाहरण हूँ। मेरी जमीन बहुत उपजाऊ है। मैंने साहित्य के अनमोल रत्न दिए हैं तो देश को प्रथम प्रधानमंत्री भी। अगर मैंने हाॅकी का जादूगर दिया है तो बाॅलीवुड में सदी का महानायक भी। मेरे हाईकोर्ट के सुनाए गए ऐतिहासिक फैसलों की गिनती इतनी लम्बी है कि ये पत्र भी छोटा पड़ जाए।
इन सब में एक चीज बराबर है इन सभी की पहचान मुझसे है , मेरे नाम से है, और मेरी इनसे।
मेरे इतिहास के साथ ही मेरे नामों की भी फेहरिस्त काफी लम्बी है। कभी ब्रह्मा द्वारा यज्ञ किए जाने के कारण मुझे #प्रयाग बोला गया कभी तीर्थों की बहुलता के कारण #तीर्थराज कहा गया।
शासक बदलते गए नाम भी बदलते गए लेकिन फिर मुझे नाम मिला #इलाहाबाद। मुगल बादशाह अकबर ने सभी धर्मों के मूलतत्वों को समाहित कर के एक धर्म बनाया। जिसे नाम दिया दीन-ए-इलाही। इसी धर्म के कारण मुझे नाम मिला अल्लाहबाद जो बोलते - बोलते इलाहाबाद हो गया। मैंने अपने इस नाम को 400 से भी अधिक वर्षों तक जिया है।
यूँ आप एक कागजी प्रक्रिया से मेरी पहचान मेरा अस्तित्व मुझसे नही छीन सकते। मेरे नाम को बदलकर आप मुझसे जुड़े हर पहलू , हर शख्स के इतिहास से ,उसकी पहचान के साथ छेड़छाड़ करेंगे। बचपन से आप एक बच्चे को किसी नाम से पुकारें और फिर अचानक से आप उसका नाम ही बदल दें तो क्या उसकी पहचान नही गुम जाएगी ? अगर मेरा नाम बदलना है तो मुझमें बसने वाले लोगों से पूछिए क्या चाहते हैं कि मेरा नाम ही मुझसे छीन लिया जाए और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ जो मुझसे जुड़ा है जिसने मुझे जिया है वो कभी भी मेरे नाम को बदलने की पैरवी नही करेगा।
आपका इलाहाबाद
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