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ये तस्वीर पत्रकार धीरेश सैनी जी की वाल से ली गयी है. तस्वीर में पत्तागोभी का खेत दिख रहा है जिसमें भैंस चर रही हैं. इसे देखकर एक बार के लिए आपके दिमाग में यह ख्याल आ सकता है कि फसल खराब हो चुकी है इसीलिए खेत को पशुचारण के लिए खुला छोड़ दिया गया है. लेकिन ऐसा नहीं है.
थानाभवन , जिला शामली गांव की यह तस्वीर असल में किसानों की बदहाली का एक प्रत्यक्ष उदाहरण है. थानाभवन के किसानों ने खेत को पशुचारण के लिए इसलिए खुला रखा है क्योंकि उन्हें पत्तागोभी की फसल का सही मूल्य नहीं मिल रहा है. वर्तमान में पत्तागोभी बाजार में 10 से 15 रुपये प्रति किलो के रेट से बिक रही है. लेकिन थानाभवन के किसानों को इसका नज़दीकी मंडी में करीब 100 रुपये प्रति कुंटल मूल्य मिल रहा है. यानी 1 किलो पत्तागोभी का मूल्य 1 रुपये.
आप यह सोच सकते हैं कि पत्तागोभी की फसल का कुछ नहीं तो कम से कम एक रुपया तो मिल रहा है तब भी इसे मंडी में क्यों नहीं बेंचा जा रहा ? इसे पशुओं को खिलाने की क्या जरूरत है ?
आपको जानकर हैरानी होगी कि किसानों को 1 कुंतल पत्तागोभी को मंडी तक पहुंचाने के लिए करीब 90 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. किसानों को 1 कुंतल पत्तागोभी बेचने के लिए 90 रुपये खर्च करने के बाद 100 रुपये मिल रहे हैं. यानी 1 कुंतल पत्तागोभी को मंडी पंहुचाने के बाद उन्हें मात्र 10 रुपये मिल रहे हैं. किलो के हिसाब से देखें तो 1 किलो के उन्हें मात्र 0.01 रुपये मिल रहे हैं.
फसल की बुवाई से लेकर उसके तैयार होने तक में कितनी लागत आयी होगी इसकी बात ही छोड़ दीजिये. घाटा उठाकर बेचने पर भी किसान को उसकी फसल की कीमत मात्र 0.01 रुपये मिल रही है.
ये है हमारे महान भारत के किसानों की दशा.
सोचिये , आज के समय में 0.01 रुपये में क्या मिलता है ?
क्या वजह है कि जिस पत्तागोभी को आप 10 से 15 रुपये प्रति किलो में खरीद रहे हैं उसी पत्तागोभी का किसान घाटा उठाकर बेचने के बाद भी सिर्फ 0.01 पैसा पा रहा है ?
कौन है जो किसान का हक मार रहा है ?
कहाँ है किसान हित की डींगे हांकने वाली सरकार ?
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