- Get link
- Other Apps
- Get link
- Other Apps
![]() |
फ़ोटो - दैनिक जागरण |
26 जूलाई यानि कारगिल विजय दिवस। देश 19वां कारगिल विजय दिवस मना रहा हैं। उन वीर शहीद जवानों को याद किया जा रहा है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। लेकिन इन सब के बीच हम उन जवानों को भूल जाते है जो उस युद्ध में घायल हुए थे और आज गुमनामी का जीवन बीताने को मजबूर है।
करगिल युद्ध के दिल्ली से इकलौते जाबांज लांस नायक सतवीर सिंह दिल्ली के ही मुखमेलपुर गांव में रहते हैं। 19 साल पहलें पाकिस्तान की एक गोली आजतक उनके पैर में फंसी हुई है, जिसकी वजह से चल फिर नहीं सकते। बैसाखी का सहारा लेकर चलना पड़ता है। ये योद्धा करगिल की लड़ाई जरूर जीते, मगर अपने हक के लिए सिस्टम से लड़ते-लड़ते हार गए।
![]() |
फ़ोटो - गूगल |
लांस नायक सतबीर सिंह के पैर में 2 गोलियां लगी थीं। एक तो पांव से लगकर एड़ी से निकल गई और दूसरी पैर में ही फंसी रह गई। उस दिन को याद करते हुए सतवीर बताते हैं, 'वो 13 जून 1999 की सुबह थी। करगिल की तोलोलिंग पहाड़ी पर थे। तभी घात लगाए पाकिस्तानी सैनिकों की टुकड़ी से आमना-सामना हो गया। 15 मीटर की दूरी पर थे पाकिस्तानी सैनिक।' 9 सैनिकों की टुकड़ी की अगुवाई सतवीर ही कर रहे थे। सतवीर ने हैंड ग्रेनेड फेंका। बर्फ में 6 सेकंड बाद ग्रेनेड फट गया। जैसे ही फटा पाकिस्तान के 7 सैनिक मारे गए। उन्होंने बताया, 'हमें कवरिंग फायर मिल रहा था लेकिन 7 जवान हमारे भी शहीद हुए थे। उसी दरम्यान कई गोलियां लगीं। उनमें एक, पैर की एड़ी में आज भी फंसी हुई है। 17 घंटे वहीं पहाड़ी पर घायल पड़े रहे। सारा खून बह चुका था। 3 बार हेलीकॉप्टर भी हमें लेने आया। लेकिन पाक सैनिकों की फायरिंग की वजह से नहीं उतर पाया। हमारे सैनिक ही हमें ले गए। एयरबस से श्रीनगर लाए। 9 दिन बाद वहां रहने के बाद दिल्ली शिफ्ट कर दिया।'
![]() |
फ़ोटो - नवभारत टाइम्स |
हिंदी खबर में छपे एक लेख के अनुसार, इस वीर जवान ने बताया, '13 साल 11 महीने नौकरी की। मेडिकल ग्राउंड पर अनफिट करार दिया। दिल्ली का अकेला सिपाही था। सर्विस सेवा स्पेशल मेडल मिला। मेरी भी औरों की तरह पेट्रोल पंप आवंटित होने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, उसी दरम्यान एक बड़ी पार्टी के नेता की तरफ से संपर्क किया गया। ऑफर दिया कि पेट्रोल पंप मैं उनके नाम कर दूं मैंने इनकार किया तो सब कुछ छीन लिया गया। इसके बाद जीवनयापन करने के लिए मुझे करीब 5 बीघा जमीन दी गई। मैंने उस पर फलों का एक बाग भी लगाया। वो जमीन का टुकड़ा भी करीब 3 साल तक मेरे पास रहा, लेकिन बाद में मुझसे छीन लिया। 2 बेटे हैं जिनकी पढ़ाई भी पैसों के अभाव में छूट गई। पेंशन और इस जूस की दुकान से घर का खर्च मुश्किल से चलता है।'
आपको बता दें कि सरकारी आंकड़ों में करीब 527 देश के जवान शहीद हुए और करीब 1,300 से ज्यादा योद्धा घायल हुए थे। भारत की विजय के साथ 26 जुलाई को यह युद्ध समाप्त हुआ। करगिल के उन घायल योद्धाओं में लांस नायक सतवीर सिंह का भी नाम था। उस युद्ध में शहीद हुए अफसरों, सैनिकों की विधवाओं, घायल हुए अफसरों और सैनिकों के लिए तत्कालीन सरकार में पेट्रोल पंप और खेती की जमीन मुहैया करवाने की घोषणा की थी।
Reactions:
- Get link
- Other Apps
Comments
Post a comment