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By - मैं थिंकर
नाम सुन कर आप भी थोड़ा सा भन्ना गए होंगे कि जेल में बंद आशाराम अचानक एम्स में डॉक्टरी की पढ़ाई कैसे कर सकते हैं ?
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फ़ोटो - द इनाडु |
नाम सुन कर आप भी थोड़ा सा भन्ना गए होंगे कि जेल में बंद आशाराम अचानक एम्स में डॉक्टरी की पढ़ाई कैसे कर सकते हैं ?
यकीन मानिए हमें भी विश्वास नहीं हुआ था जब इस बारे में पता चला।
चलिए आपको बताते है ये आशाराम कौन है और करते क्या हैं ?
आशाराम मध्यप्रेदश के देवास जिले के विजयागंज मंडी में रहते हैं। उनके पिता का नाम रंजीत चौधरी और मा का नाम ममता बाई हैं। पिता रंजीत की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। उनके पास घर के नामपर कुछ था तो वो था एक अदद झोपड़ी भर। जिस वजह से आशाराम ने बचपन से ही घर की मुफलिसी को बहुत करीब से देखा था। रंजीत कूड़े - कचरे से प्लास्टिक की खाली बोतल बीनते थे और इसके अलावा कभी - कभी किसी की खेती में मजदूरी का भी काम कर लेते थे। उनके पास जमीन का टुकड़ा तक नहीं है जिसपर वो खेती कर सके। माँ ममता गृहिणी जो। एक छोटा भाई भी है जो बारहवीं कक्षा में पढ़ रहा हैं।
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फ़ोटो - द हिन्दू.कॉम |
इनसब के बावजूद आशाराम ने कभी भी अपनी समस्या को खुद पर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने मेहनत की और ये साबित कर दिया कि एक इंसान मुश्किल परिस्थियों में भी उठ कर खड़ा हो सकता है अगर उसमे जज्बा हो तो। दरसअल दो माह पहले आयोजित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षा में आशाराम ने साढ़े चार लाख परीक्षार्थियों के बीच 707 वीं अखिल भारतीय और ओबीसी श्रेणी के दो लाख विद्यार्थियों के बीच 141वीं रैंक हासिल की है। उन्होंनें जोधपुर के एम्स में एमबीबीएस में दाखिला ले लिया है। उनकी कक्षाएं 23 जुलाई से शुरू होंगी।
आशाराम को आगे पढ़ना था उनके पास पैसा नहीं था ऐसे में सिर्फ BPL कार्ड के जरिये ही उन्हें सरकारी मदद मिल सकती थी। वो बताते है कि जब वो BPL कार्ड बनवाने गए तो उनसे रिश्वत मांगी गई। ये बात उन्होंने । मैंने एडीएम बुंदेला को परेशानी बताई। उन्होंने मदद की और कार्ड बन गया। इसके बाद ही पुणे की परीक्षा के लिए पात्र हुआ और दाखिला लिया। अब बुंदेला ने भी उन्हें बधाई दी है।
आशाराम का इसी साल नीट में चयन हुआ। वे किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना में रिसर्च साइंटिस्ट भी चुने जा चुके हैं। जर्मनी के सिल्वर जोन फाउंडेशन संस्थान में भी उनका चयन हो चुका है, जिसमें 332वीं इंटरनेशनल रैंक उन्हें हासिल हुई। पुडुचेरी के जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोग्रेसिव मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च की प्रवेश परीक्षा में अच्छी रैंक मिली।
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