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इस खबर का प्रारंभिक खुलासा झांसी के पत्रकार जीशान अख्तर ने किया. अब पांच करोड़ जोड़ने वालों ने यह पोस्ट केवलः मित्र के विकल्प के साथ आगे बढ़ायी है.
यूपी सरकार विवेक तिवारी के पीड़ित परिजनों को सिर्फ 25 लाख रुपए दे पाई, वहीँ, हत्या करने वाले पुलिस वालों को यूपी पुलिस ने ही 5 करोड़ रुपए देने का ऐलान कर दिया. इसके लिए चंदा हो रहा है. फेसबुक पर अभियान चल रहा है. पुलिस पूछ रही है कि फिर असलहे क्यों दिए जब मार नहीं सकते. बड़ा सवाल है कि आखिर यूपी पुलिस के पास इतना हौसला कहाँ से आया कि हत्या के आरोपी में पुलिस कर्मी के समर्थन में सरकार के सामने ही खड़े होने का सोच लिया. पुलिस को इतना बढ़ावा किसने दिया कि गोली चलाने में सोचना नहीं पड़ रहा है. किसी को भी मारकर अपराधी का एनकाउंटर कहने वाली पुलिस की पीठ इस तरह से आखिर कौन थपथपा रहा है !
लखनऊ गोलीकांड: वीर सिंह की पोस्ट
आखिर पुलिस का इंकलाब इतना बुलंद कैसे हो गया कि वो सरकार के फैसले के सामने हत्यारे पुलिस कर्मियों के समर्थन में खड़ी हो गई. सरकार पीड़ित परिजनों को सिर्फ 25 लाख दे पाई, यूपी पुलिस ने तो विवेक को गोली मारने पुलिस कर्मियों को 5 करोड़ रुपए देने का ऐलान कर दिया. रुपए अकाउंट में भी भेजे जाने लगे हैं.
सीएम सख्त हैं.. गृहमंत्री सख्त हैं.. पूरा पुलिस महकमा सख्त है. आप सख्ती दिखाते रहिए. बर्खास्त कर दीजिये, जेल भेज दीजिये, लेकिन ये बताइए कि फिर हमें असलहे क्यों दिए हैं, जब चला नहीं सकते. ये सवाल उस बहादुर पुलिस के हैं, जो करीब एक साल से आम आदमी को मारने को उतारू है. अब आम आदमी का सवाल ये है कि पुलिस को इतना 'मनबढ़' किसने बना दिया कि उसे गोली मारने के लिए किसी से पूछना नहीं पड़ता. वह अपराधी समझ लेगी तो गोली मार देगी, और अपराधी किसी को भी समझ सकती है, जैसे विवेक को समझ लिया गया. जैसे अलीगढ़ में दो लोगों को लाइव एनकाउंटर कर समझ लिया गया.
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