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अमृतसर रेल हादसा गैर-ज़िम्मेदारी और लापरवाही
हादसा, दुर्घटना, मौतें, चीखें, रोना, दुःख, मुआवज़ा, राजनीति। ये प्रक्रिया बार-बार होती है और लगातार होती रहती है और यही आरोप प्रत्यारोप चलता रहता है। सब ये भूल जाते हैं कि किसी की मौत होना सामन्य नहीं है और इन सब घटनाओं के लगातार दोहराव से एक तरह की असंवेदनशीलता आ जाती है और लगता है कि ये तो होता रहता है, कोई नई बात नहीं है इसमें।
कुछ घटनाएं तो प्राकृतिक हैं उनकी तो बात की जाए लेकिन जो घटनाएं प्रशासन की लापरवाही से होता है उसका क्या किया जाए उसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा। ज़िम्मेदारी लेने की बजाए लोग एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप में लग जाते हैं, बिना शर्म के। अगर मौतों पर भी आपको राजनीति ही करनी है और मौत से आपको कोई संवेदना नहीं आ रही है तो आप जनता के सेवक कहलाने के लायक नहीं है।
कितनी बेतुकी और समझ से परे बात है कि रेलवे ट्रैक के 25-30 मीटर की दूरी पर रावण का दहन हो रहा है, रामलीला का कार्यक्रम हो रहा है और ये कार्यक्रम लगातार कई सालों से यहाँ हो रहा है। तो क्या अब तक इस हादसे का इंतज़ार हो रहा था कि ट्रेन आए और लोगों को रौंद कर चली जाए फिर कुछ ध्यान दिया जाए इस बात पर। प्रशासन ने इस बात पर ध्यान क्यों नहीं दिया कि ये कितना रिस्की है, रेलवे ट्रैक के किनारे ऐसे कार्यक्रम करना।
ख़ुशी का त्यौहार पल भर में मातम में बदल गया। एहतियात क्यों नहीं बरता गया इस बात पर कि ऐसी जगह पर रामलीला करने से पहले सुरक्षा को लेकर कोई इंतज़ाम क्यों नहीं किया गया। सवाल आरोप का नहीं है, सवाल है गैर-ज़िम्मेदारी का और लोगों की मौतों का। जिसके घर का कोई मर गया, किसी का बच्चा मर गया, किसी का बाप मरा, किसी की मां। वो रोए चिल्लाए छाती पीटे।
वो क्या सवाल पूछे, वो क्या जवाब मांगें, वो इस स्थिति में ही नहीं है। आप 5 लाख दें 10 लाख दें, जाँच करवा दें, कमेटी बना दें उससे फर्क नहीं पड़ता। ये 5-10 लाख की ज़रूरत नहीं पड़ती अगर इस बात पर पहले ही ध्यान दे दिया गया होता कि ये कितना खतरनाक हो सकता है।
सबसे दुःख की बात है कि हादसे के बाद हादसे होते रहते हैं लेकिन हम उससे सीखते कुछ नहीं अगर हम दुर्घटनाओं से सीखते और मौतों पर वाकई में दुखी होते तो आगे से कहीं ऐसा न हो इसकी पुष्टि करते और इसके लिए एहतियात बरतते लेकिन दुःख की बात है कि ऐसा होता रहता है। पहली नज़र में यह मामला लापरवाही का है, 50-100 लोग मूली गाजर की तरह कुचल दिए गए, अब आप जारी करते रहिए मुआवज़ा क्या फर्क पड़ता है। यह असंवेदनशीलता और लापरवाही बहुत ही शर्मनाक है प्रशसन और सरकार के लिए।
नोट -
हादसे में घायल और मृतकों की जानकारी के लिए 01832223171, 01832564485 पर संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा मानावाला रेलवे स्टेशन के नंबर 7332 पर संपर्क किया जा सकता है। Bsnl के उपभोक्ता मानावाला रेलवे स्टेशन की हेल्पलाइन नंबर 0183-2440024 पर संपर्क कर सकते हैं।
अमृतसर रेलवे स्टेशन के पावर कैबिन का हेल्पलाइन नंबर 72820 है। वहीं Bsnl के उपभोक्ता के लिए अमृतसर रेलवे स्टेशन के पावर कैबिन की हेल्पलाइन नंबर 183-2402927 है। कॉमर्शियल कंट्रोल रूम का हेल्पलाइन नंबर- 01632-1072 इसके अलावा स्टेशन गेट पर नंबर- 9779232880, 9779232558, 7986897301 भी है।
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