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तस्वीर मुम्बई के एक बस ड्राइवर और कंडक्टर की है। दोनों रात की ड्यूटी पर थे। बस नम्बर 398 लोगों से खचाखच भरी हुई थी। फिर हर एक स्टॉप पर लोग उतरते गये और आखिर में बस में एक महिला और कुछ पुरूष सहयात्री बच गये।
रात के करीबन 1:30 बज गये थे।
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अगर मैं इस लेख को यहीं विराम दे दूं और किसी भी व्यक्ति से पूछ लूं के इसके बाद महिला के साथ क्या हुआ होगा तो अधिकर लोग छेड़छाड़ या बलात्कार की आशंका जताएंगे। रात के 1:30 बजे हैं । महिला बस में अकेली है और बस में केवल ड्राइवर और कंडक्टर और कुछ पुरूष सहयात्री मौजूद हैं।
क्या होना चाहिये था इस बात की चर्चा छोड़ कर अब यह बताना चाहता हूं के क्या हुआ....
ड्राइवर और कंडक्टर ने महिला को उस बस स्टॉप पर उतार दिया जहां का उसके पास टिकट था। इतने में ड्राइवर ने आस पास देखा। रात का समय था और इलाका पूरा सुनसान था।
उसने कंडक्टर को इशारा किया। कंडक्टर महिला के पास पहुंचा जो स्टॉप पर बिल्कुल अकेली खड़ी थी।
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अगर मैं यहाँ पर भी लेख को विराम दे दूं और किसी व्यक्ति से पूछ लूं के आगे क्या हुआ होगा तो अब तो एक निश्चित जवाब मिलेगा।
"बलात्कार"
परन्तु ऐसा हुआ नहीं।
कंडक्टर ने महिला से पूछा के उसे आगे किस ओर जाना है। महिला ने बताया के उसका घर ज्यादा दूरी पर नहीं है। वह ऑटो से अपने घर चली जायेगी। कंडक्टर ड्राइवर के पास गया और उसे महिला के विषय में बताया। ड्राइवर ने बस का इग्निशन बंद कर दिया।
सवारियों ने पूछा के बस क्यों रोकी गयी है तो ड्राइवर ने जवाब ही नहीं दिया। ड्राइवर जा कर महिला के पास खड़ा हो गया और कंडक्टर को महिला के लिये ऑटो ढूंढने भेज दिया गया। करीबन 15 मिनट की खोजबीन के बाद भी कोई ऑटो नहीं मिला।
उधर बस में बैठे यात्री चीखपुकार मचा रहे थे। हर किसी को घर जाने की जल्दी थी। ड्राइवर बस में चढ़ा। बड़ी विनम्रता से बस में बैठे सभी यात्रियों से कहा के महिला रात के 1:30 बजे इस सुनसान स्टॉप पर अकेली है। कुछ भी अनहोनी हो सकती है। इसलिये बस तो अब यहाँ से तभी चलेगी जब महिला सकुशल किसी सवारी में बैठ कर अपने घर की ओर निकल जायेगी।
इतने में कंडक्टर को एक ऑटो आता दिखाई दिया । उसे रोका गया। ड्राइवर ने खुद ऑटो वाले से बात की और जब वह सन्तुष्ट हो गया तो महिला को ऑटो में बिठा कर रवाना कर दिया।
महिला ने अगले ही दिन sleeping panda के नाम से अपने ट्विटर अकाउंट से दोनों रोडवेज़ कर्मचारियों को धन्यवाद दिया।
यही नहीं इस महिला की इस ट्विटर पोस्ट के बाद ना जाने कितनी महिलाओं ने सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती लिखी। एक अन्य महिला ने लिखा के वह पुणे से मुम्बई जा रही थी। रात के करीबन 11 बज चुके थे। तभी बोरीवली स्टेशन पर उन्हें अपने एक लेक्चरार दिखाई दिये। वह तब तक वहां खड़े रहे जब तक कन्या ने कैब बुक नहीं कर ली।
कैब आने के बाद भी उन्होंने कन्या को अपना और अपनी पत्नी का नम्बर दिया और कहा के किसी प्रकार की कोई दिक्कत हो तो वह उन्हें किसी भी समय कॉल कर सकती है।
छेड़छाड़ बलात्कार जैसे शब्द अब लगभग हर रोज किसी न किसी खबर का हिस्सा होते हैं। कहा जाता है वास्तविकता है तभी खबरें छपती हैं। परन्तु दुःख इस बात का है के बलात्कार और छेड़छाड़ से जुड़ी खबरों के साथ साथ कभी एक भी खबर पढ़ने को नहीं मिली जिसमें किसी पुरूष ने किसी नारी की अस्मत की रक्षा की हो।
हालांकि समाज मे ऐसे असंख्य उदाहरण मौजूद होंगे परन्तु चर्चा किसी एक की भी नहीं हुई है।
बलात्कार वास्तविकता है।
छेड़छाड़ वास्तविकता है।
वास्तविकता है तो तस्वीर में बैठा रोडवेज़ का यह ड्राइवर और कंडक्टर क्या कोई अपवाद है।
अगर यही वास्तविकता है के हर मर्द एक पोटेंशिअल रेपिस्ट है तो वह लेक्चरार कौन है जो लड़की की सुरक्षा के लिये देर रात बस स्टॉप पर खड़ा रहा।
यह वास्तविकता नहीं है वास्तविकता का एक हिस्सा है।
.......और दूसरे हिस्से पर भी नज़र डालना आवश्यक है।
क्योंकि आज के दौर में भी रात 1:30 बजे अकेले खड़ी महिला के साथ केवल बलात्कार करने वाले ही नहीं उनकी सुरक्षा की चिंता करने वाले भी मौजूद हैं।
यह लेख रतनदीप सिंह की फेसबुक वॉल से साभार है।
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