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By - प्रशांत
कभी तो कोई आएगा
मेरे पास
अपना खालीपन लेकर,
मेरा खालीपन भरने!
कोई तो होगा
जो
यहाँ से गुज़रते हुए
अचानक से रुक सा जाएगा
और बैठ जाएगा मेरे पास
कुछ पल के लिए,
और बैठकर मेरे पास
सोचेगा किसी के बारे में!
मैं उससे कभी नहीं पूछूंगा
और ना ही मुझे
इस बात का बुरा लगेगा
कि
वो मेरे पास बैठकर
किसी और के बारे में
सोच रहा है
मैं तो बस खुश हो जाऊंगा
और उसे निहारते हुए
अपना खालीपन भर लूंगा
और उसके जाने के बाद
अगले के इंतज़ार में
बैठा रहूँगा
ऐसे ही
जैसे अभी बैठा हूँ!
कविता : "इंतज़ार में"
कभी तो कोई आएगा
मेरे पास
अपना खालीपन लेकर,
मेरा खालीपन भरने!
कोई तो होगा
जो
यहाँ से गुज़रते हुए
अचानक से रुक सा जाएगा
और बैठ जाएगा मेरे पास
कुछ पल के लिए,
और बैठकर मेरे पास
सोचेगा किसी के बारे में!
मैं उससे कभी नहीं पूछूंगा
और ना ही मुझे
इस बात का बुरा लगेगा
कि
वो मेरे पास बैठकर
किसी और के बारे में
सोच रहा है
मैं तो बस खुश हो जाऊंगा
और उसे निहारते हुए
अपना खालीपन भर लूंगा
और उसके जाने के बाद
अगले के इंतज़ार में
बैठा रहूँगा
ऐसे ही
जैसे अभी बैठा हूँ!
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