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सआदत हसन मंटो की एक कहानी है ‘मुसटेन वाला’। मनोवैज्ञानिक किस्म की कहानी है। इसका मुख्य पात्र मंटो का दोस्त जैदी है, जो अपने घर में अक्सर आने वाले एक बिल्ले से डर कर बीमार पड़ गया है।
जैदी उस बिल्ले से डरकर उसे फटकारता है, दुत्कारता है लेकिन बिल्ला उसी रौब में रोज उसके घर में नमूदार हो जाता है। लेखक मंटो जैदी को राय देता है कि अब जरा बिल्ले के सिर पर प्यार से हाथ फेर कर देखो, शायद तुम्हारा डर दूर भाग जाए। जैदी वह भी करता है, लेकिन उस बिल्ले को कोई फर्क नहीं पड़ता।
किसी दिन लेखक मंटो अपनी बीवी सफिया के साथ जैदी के घर पर होता है, तभी बिल्ला वहां आ जाता है। हठात सफिया चीख पड़ती है- 'मंटो, यह बिल्ला तो पूरा बदमाश लगता है'।
तभी जैदी कह उठता है कि उसे डर का हल मिल गया। वह याद करता है कि जब वह स्कूल में पढ़ता था,तो एक मुसटेन वाला लगातार उसके पीछे पड़ा रहता था। इस बिल्ले की शक्ल उससे मिलती थी।
दरअसल, मंटो की यह कहानी बाल यौन शोषण की समस्या पर लिखी गई है। बिल्ले को प्रतीक के रूप में रखते हुए मंटो यह कहना चाहता है कि बचपन में किए गए शोषण या शोषण के प्रयास से उपजा भय बड़े होने के बाद भी अवचेतन में बैठा रहता है।
यदि आपने नहीं पढ़ी है, तो तुरंत ही यह कहानी पढ़ डालिए।
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