- Get link
- Other Apps
- Get link
- Other Apps
जब से सुबोध कुमार की मौत के बारे में सुना है तब से मन उदास है मुझे लगता है कि मैंने उनसे बात की है। जब मैं क्राइम पेट्रोल में नौकरी करता था तब स्टोरी के लिए मैं अनेक पुलिस वालों से बात करता था। मैं ठीक से रिकॉल नहीं कर पा रहा हूँ कि मैंने सच में सुबोध जी से बात की है या नहीं। लेकिन मन में डर सा है और बस यही लग रहा है कि मैंने उनसे बात की है।
कन्फर्म करने के लिए मैंने अपने कांटेक्ट सूची मैं उनका नाम सर्च किया। तो मुझे उनके नाम से दो नंबर मिले। दोनो ही नंबर व्हाट्सएप पर थे पर किसी की डीपी नहीं दिख रही थी। उनके नाम के साथ मैंने हापुर पुलिस सेव किया था। अब वो वही सुबोध सिंह है या कोई और ये पता नहीं। हो सकता है उनका तबादला हो गया हो।
मुझ में हिम्मत नहीं है कि मैं उनके नंबर पर कॉल कर सकूँ। अगर कॉल कर भी लूं तो क्या पूछूँगा ये सवाल ज़हन में है ?
क्यों हम लोग हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लड़े जा रहे है ?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सोमवार को गोकशी की अफवाह के बाद मचे बवाल में गुस्साई भीड़ ने स्याना थाने पर हमला किया, जिसमें उपद्रव के दौरान चली गोली से थाना अधिकारी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत हो गयी।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार भीड़ के थाने पर हमले में घायल सुबोध सिंह पर अस्पताल ले जाते हुए दोबारा हमला किया गया था और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गयी।
पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के बेटे ने कहा है कि उनके पिता चाहते थे कि वह एक अच्छा नागरिक बने जो धर्म के नाम पर हिंसा नहीं भड़काए। अभिषेक सिंह ने कहा, ‘मेरे पिता ने इस हिंदू-मुस्लिम विवाद में अपना जीवन गंवा दिया। अगली बारी किसके पिता की होगी?’
नोट - ये लेखक के अनुभव है।
Reactions:
- Get link
- Other Apps
Comments
Post a comment