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विश्लेषण: बीजेपी के हारने का दुख और मोदी-अमित शाह को हराने की खुशी
अंडर करंट क्या होता है ये बात या तो २०१४ के चुनावो में मोदी को सत्ता में लाने के समय सामने आई थी या फिर हाल में आए ५ राज्यो के चुनाव परिणामों साफ दिखाई दे रहा है। अगर इस जनादेश का मतलब मोदी-अमित शाह और बीजेपी शासित मुख्यमंत्रियो ने नही समझा तो उनका हास भी डॉ रमन सिंह और शिवराज सिंह चौहान जैसा होगा।
नोटबंदी और जीएसटी के बाद तमाम सारे चुनावो में बीजेपी जीत कर सत्ता बनाने में कामयाब हुई लेकिन इस चुनावो में आखिर बीजेपी का सूपड़ा साफ करने में कौन से ऐसे फैक्टर रहे जिन्होने सत्ता को सीधे चुनौती देते हुए सरकार को विपक्ष की जगह दिखाने में देरी नही लगाई तो विस्तृत विश्लेषण की जरूरत है।
राजस्थान में हर बार सत्ता पलट की एक सामान्य प्रकृया है लेकिन १५ साल से सत्ता में बैठे रमन सिंह और करीब २० साल से ज्यादा सत्ता में रही मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार का सत्ता से बाहर जाना बिल्कुल भी सामान्य प्रकृया नहीं बल्कि लोगो के भी मोदी-अमित शाह के तानाशाही रवैये का परिणाम, सीएम के आस पास बैठे लोगो का घमंड और सीएमओ में बैठे लोगो का खुद सीएम समझने का परिणाम के साथ साथ एससी-एसटी का कानून पास करने कर के खुद को दलित राजनीति का हीरो साबित करने करने और आरक्षण के कोटे को लगातार बढाने की वजह के तौर पर देखा जा रहा है।
महाराष्ट्र के सीनियर और कद्दावर मंत्री नितिन गडकरी का कई बार खुले मंच से सीएम को सलाह कि "चाय से ज्यादा केतली गरम है" समझने के लिए पर्याप्त है। यही हाल रमन सिॆह, वसुंधरा राजे और शिवराज के सीएमओ में भी रहा, परिणाम सामने है।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी सरकार का दलित प्रेम और दलित राजनीति में मशीहा बनने की कोशिश भी राज्यो के परिणाम का बड़ा हिस्सा रही, राज स्तरीय पार्टियां ये बात भली भांति समझती है कि अपने हार्डकोर वोट बैंक को नाराज करना खतरे से खाली नही है तभी सभी पार्टियां अपने वोट बैंक को नाराज नही करती हैं, क्या कभी मायावती को दलितो को नाराज करने वाला फैसला लेते हुए देखा है क्या ? या मुलायम सिंह को अहिरो के खिलाफ फैसला लेते हुए देखा गया क्या ? नही लेकिन बीजेपी का हार्डकोर वोट बैंक अपर कास्ट हिंदू ( ब्राह्मण, बनियां ( बिजनेस मैन ), कायस्थ, भूमिहार और सभी अगड़ी जातियां ) #SCST और #आरक्षण के मुद्दे को लेकर नाराज थी।
बीजेपी के कोर वोट बैंक ने इन चुनावो में सरकार द्वारा लिया गया #SCST कानून को शख्त बनाने का फैसला बीजेपी के चुनावो परिणामो पर सीधा असर करता दिखा, मोदी और अमित शाह को हराने और उनके दलित प्रेम को नष्ट करने साथ ही घमंड को तोड़ने के लिए सभी अगड़ो ने जमकर सरकार के खिलाफ वोटिंग की और तीनो राज्यो से सत्ता का सफाया कर दिया, साथ ही आरक्षण को लेकर भी गुस्सा सामान्य वर्ग के लोगो के भीतर एक दर्द की तरह घूमता रहा जिसका रिजल्ट तीनो राज्यो में बीजेपी साफ हो गई।
11 तारीख के सोशल मीडिया से आकंलन करे तो लोगो को बीजेपी के हारने का दुख तो है लेकिन मोदी अमित शाह को हराने की खुशी काफी दिखी, राम मंदिर और धारा ३७० पर भी पिछले करीब साढे चार सालो से कुछ काम नही हुआ जिससे बीजेपी की मातृसंस्था आर एस एस भी बीजेपी से नाराज दिखी और परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।
बीजेपी के हार का आकंलन और सभी मुख्यमंत्रियो को भी करना चाहिए कि आखिर उनका कोर वोट कौन है और क्या वो कोर वोट के नसो को टटौलने में कामयाब हो पाए अगर नही हो पाते हैं तो आने २०१९ के लोकसभा और राज्यो के चुनाव भी बीजेपी हार जाएगी।
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