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फ़ोटो साभार - दैनिक भास्कर
विक्रम इंडिया के पहले डबल अम्प्यूटी ड्राइव है। ड्राइविंग के लिए उन्हें भारत सरकार की तरफ से लाइसेंस भी दिया गया है। लेकिन लाइसेंस के लिए उन्हें काफी मशक्त करनी पड़ी है।
फ़ोटो साभार - पत्रिका
दरअसल विक्रम के दोनों हाथ नहीं है। विक्रम की उम्र लगभग 47 साल है। बाजवूद इसके वो आज एक बहुत अच्छे ड्राइवर है। विक्रम फुटबॉल खेलते है, रनिंग करते है, तैरते है, जीम करते है यहां तक कि अपने कपड़े भी खुद प्रेस करते है। विक्रम अग्निहोत्री ना केवल पैरों से कार चला लेते हैं बल्कि अपनी नाक से स्मार्टफोन को भी ऑपरेट कर लेते हैं।
सात साल की उम्र में हाई टेंशन वायर को पकड़ने की वजह से विक्रम को अपना दोनो हाथ खोना पड़ा था। पर इन्होंने जिंदगी के आगे घुटने नहीं टेके। शुरुआत में छोटे से छोटे काम भी बड़ा चलेंगजिंग लगा पर इन्होंने सभी को हंस के एक्सेप्ट किया।
विक्रम जी बताते है कि " उनकी फैमिली उनको हर खेल या कोई भी चीज़ में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती थी। ये उनके लिए सबसे बड़ी बात है। कभी - कभी कुछ चींजे ऐसी हो जाती जो हमारे हाथ में नहीं होता है पर जो भी होता है अच्छे के लिए होता है। इस दुनिया में कुछ भी इम्पॉसिबल नहीं है।
ऐसे सीखा कार चलाना
वक्त के साथ विक्रम के अंदर का विश्वास और भी ज्याद बढ़ने लगा। वह कई ऐसी चीजें अपने पैरों से करने लगे, जिसके बारे में शायद ही किसी ने सोचा हो।
बड़े होने पर विक्रम का मन गाड़ी सीखने का हुआ। इसके लिए उन्होंने गाड़ी भी खरीद ली। गाड़ी तो ले ली गई, लेकिन अब असल मसला ये था, की विक्रम को ड्राइविंग कौन सिखाएगा?
ऐसा इसलिए क्योंकि, विक्रम को आम ड्राइविंग स्टूडेंट नहीं थे। उन्हें एक स्पेशल ट्रेनिंग की जरूरत थी। विक्रम को भी इस बात का एहसास हुआ। इसलिए उन्होंने अपनी गाड़ी में कुछ बदलाव कर दिए।
फ़ोटो साभार - रोर हिंदी
बदलावों के बाद विक्रम अपने सीधे पैर से स्टेरिंग संभालते और उलटे पैर से ब्रेक और एक्सलेरेटर। बहुत खोजने के बाद भी उन्हें कोई ड्राइविंग सिखाने वाला नहींं मिला। आखिर में थक कर उन्होंने इंटरनेट पर वीडियो देखना शूरू किया और महज तीन महीनों में ही वो गाड़ी चलाना सीख गए।
युवाओं के रोल मॉडल के लिए विक्रम को नेशनल गौरव अवार्ड से नवाजा गया है।
विक्रम Vital Spark welfare society नाम की एक NGO चलाते है। जहां कोई भी शख्स अपने टैलेंट को दिखा सकता है और यहाँ आ कर अपने टैलेंट को बढ़ा भी सकता है।
हर किसी की जिंदगी में मुश्किल आती हैं मगर उनसे हारना नहीं उन्हें खत्म ज्यादा महत्वपूर्ण है। विक्रम ने भी ऐसा ही किया। यह उनके इरादे की ताकत ही थी, जिसके कारण वह यह सब काम कर पाए।
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