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सब दिलो-दानिश यूँ बिखर जाएंगे
तेरे बिन राहे जिंदगी किधर जाएंगे।
है इक मुख़्तसर जबां इस अदब के
बिन तेरे गुले-गुलज़ार बिखर जाएंगे।
तेरे होने से ये सबब है मेरे जुबां पर
तेरे बिन, मौसमे इश्क़ गुज़र जाएंगे।
ये रातें, ये ख़्वाब हैं इश्क़ के सारथी
साथ तेरे ये जुगुनू भी सँवर जाएंगे।
चल साथ बनके अनुपम सफ़र मेरा
साथ ये जमीं और ये सज़र जाएंगे।
इक तेरे ही इश्क़ में दीवाना हैं 'कृष'
तेरे दामन में ही सदियाँ गुज़र जाएंगे।।
By - कमलेश मौर्य 'कृष'
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