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By - हिंदी डाकिया
"मेरे पिता के देहांत के बाद मेरी माँ ने मुझे और मेरे दोनो भाइयों को अकेले ही पाला। वो फूल बेचती थीं और सारा दिन व्यस्त रहतीं, इसलिए हमने घर के कामों को आपस में बाँट लिया था। मुझ पर खाना बनाने का जिम्मा था। मुझे कभी भी किसीने ने खाना बनाना नहीं सिखाया - मैंने बस अपनी माँ को देखकर सीख लिया।
तो, इन सभी सालो में, मैंने फ़िश करी बनाने में महारत हासिल कर ली। मुझे लगता है कि यह सबसे अच्छी बात थी - मुझे एक कॉन्टिनेंटल रेस्तरां में कुक की नौकरी भी मिल गयी। फिर मैं कोलकाता से मुंबई आ गया और यहाँ मेरी मुलाकात मेरी पार्टनर- मेरी पत्नी से हुई।
हम एक दुसरे के लिए बारी- बारी से खाना बनाते हैं। वो सभी बंगाली पकवान बना लेती है और मैं उसमें अपना फ्लेवर मिला देता हूँ........ यह हमारे बीच बिना बोले चलने वाली एक प्रतियोगिता की तरह है। जब भी घर पर वो मेरे खाने की समीक्षा (रिव्यु) करती है तो कोई दया नहीं दिखाती।
ओह्ह, और अगर वो यह पोस्ट पढ़ रही है तो मैं आपको बता दूँ कि 'वो मुझसे भी अच्छा खाना बनाती है'।"
Via - Humans of Bombay
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