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By - हिंदी डाकिया
ये हैं कर्नाटक पुलिस के नौजवान ऑफ़िसर Mahantesh Banappagoudar साहब,! दोपहर के क़रीब तीन बजे हैं तभी एक मुस्लिम लड़का सुनसान सड़क पर अकेला जा रहा होता है तो ये उस बच्चे को बुलाते हैं और पूछते हैं की कहाँ जा रहे हो?
बच्चा डर जाता है जिसे महंतेश तुरंत समझ जाते हैं और प्यार से पूछते हैं तब बच्चा बताता है की ‘उसके पिता नही हैं माँ घरों में काम करती है माँ ने मेरे दोस्त के घर जाकर मुझे पढ़ने के लिए भेजा है’ और ये कहते हुए वो पाँचवीं की किताब जो सामाजिक विज्ञान होती है वो दिखाता है,ऑफ़िसर भावुक हो जाते हैं और पूछते हैं आप क्या बनना चाहते हैं तो बच्चा कहता है की मैं पुलिस बनना चाहता हूँ।
ये सुन कर ऑफ़िसर को अपने बचपन की याद आ जाती है जब वो ये सपने देखा करते थे,और बच्चे को प्यार से गले लगा लेते हैं,पर्स से 100 रुपए निकाल कर देते हैं और कहते हैं कि आप इसकी चोकलेट खा लेना,अपनी टोपी निकालते हैं उसे बच्चे के सर पर रख देते हैं जिसकी तस्वीरें उनके विभाग के ही पुलिसकर्मी क्लिक कर लेते हैं।
Mahantesh Banappagoudar साहब ने ये तस्वीरें अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर करते हुए लिखा की मैं सोशल मीडिया पर देख रहा हूँ कुछ लोग एक समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत पैदा कर रहे हैं जो समाज के ग़द्दार हैं,वो न्यायधीश बने इस तरह किसी समुदाय को ग़लत नहीं कह सकते ये उचित नही है। अंग्रेज़ों से देश को आज़ाद कराने के लिए हिंदू मुस्लिम सबने मिलकर लड़ाई लड़ी है,हमें आज देश में नफ़रत नही बल्कि प्यार बाँटते हुए आगे बढ़ना है।।
ऑफ़िसर ने अंत में गुज़ारिश किया की आप घर में रहें और लॉकडाउन का पालन करें।
यह पोस्ट सैय्यद असलम अहमद की वॉल से ली गयी है।
ये हैं कर्नाटक पुलिस के नौजवान ऑफ़िसर Mahantesh Banappagoudar साहब,! दोपहर के क़रीब तीन बजे हैं तभी एक मुस्लिम लड़का सुनसान सड़क पर अकेला जा रहा होता है तो ये उस बच्चे को बुलाते हैं और पूछते हैं की कहाँ जा रहे हो?
बच्चा डर जाता है जिसे महंतेश तुरंत समझ जाते हैं और प्यार से पूछते हैं तब बच्चा बताता है की ‘उसके पिता नही हैं माँ घरों में काम करती है माँ ने मेरे दोस्त के घर जाकर मुझे पढ़ने के लिए भेजा है’ और ये कहते हुए वो पाँचवीं की किताब जो सामाजिक विज्ञान होती है वो दिखाता है,ऑफ़िसर भावुक हो जाते हैं और पूछते हैं आप क्या बनना चाहते हैं तो बच्चा कहता है की मैं पुलिस बनना चाहता हूँ।
ये सुन कर ऑफ़िसर को अपने बचपन की याद आ जाती है जब वो ये सपने देखा करते थे,और बच्चे को प्यार से गले लगा लेते हैं,पर्स से 100 रुपए निकाल कर देते हैं और कहते हैं कि आप इसकी चोकलेट खा लेना,अपनी टोपी निकालते हैं उसे बच्चे के सर पर रख देते हैं जिसकी तस्वीरें उनके विभाग के ही पुलिसकर्मी क्लिक कर लेते हैं।
Mahantesh Banappagoudar साहब ने ये तस्वीरें अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर करते हुए लिखा की मैं सोशल मीडिया पर देख रहा हूँ कुछ लोग एक समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत पैदा कर रहे हैं जो समाज के ग़द्दार हैं,वो न्यायधीश बने इस तरह किसी समुदाय को ग़लत नहीं कह सकते ये उचित नही है। अंग्रेज़ों से देश को आज़ाद कराने के लिए हिंदू मुस्लिम सबने मिलकर लड़ाई लड़ी है,हमें आज देश में नफ़रत नही बल्कि प्यार बाँटते हुए आगे बढ़ना है।।
ऑफ़िसर ने अंत में गुज़ारिश किया की आप घर में रहें और लॉकडाउन का पालन करें।
यह पोस्ट सैय्यद असलम अहमद की वॉल से ली गयी है।
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